लोक सेवकों के लिए आचार संहिता और पब्लिक सर्विस बिल, 2006 (Code of Conduct for civil servants and Public service bill,2006)

Posted on March 21st, 2020 | Create PDF File

सिविल सेवकों के लिए एक आचार संहिता की आवश्यकता को महसूस करते हुए 1964 में संथानम समिति (भ्रष्टाचार निरोधक समिति) ने कहा था, “भारत जैसे देश के लिए उसके भौतिक संसाधनों का विकास और सभी वर्गों के जीवन स्तर को बढ़ाना एक वास्तविक आवश्यकता है। इसके साथ ही लोक जीवन के प्रतिमानों / मानकों की अवनति को दूर करना होगा। ऐसे मार्ग एवं साधन तलाशने होंगे जो युवाओं की महत्वाकांक्षा में आदर्शावाद व देशभक्ति को उचित स्थान दिला सकें। नैतिक ईमानदारी का अभाव जो कि हाल के वर्षों की एक सुस्पष्ट विशेषता रही है, वही सम्भवतः अक्षुण्णता व दक्षता (integrity and efficiency) की मजबूत परम्परा के विकास को बाधिक करने वाला सर्वाधिक प्रमुख कारण है।”

 

“शासन में नैतिकता” (Ethics in Government) शीर्षक से द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की चौथी रिपोर्ट में सिविल सेवा में आचार, मूल्य, परानुभूति (Empathy) जैसे गुणों को केन्द्रीय महत्व दिए जाने की सिफारिश की गई है। इसमें कहा गया है कि एक व्यापक सामाजिक उद्देश्य के लिए स्वयं को अधीनस्थ अथवा सेवक की स्थिति में रखकर कार्य करना आवश्यक है। श्रेष्ठता, कुलीनता, स्वामित्व के भावों की बजाय समाज के दुर्बल वर्गों के लोगों के प्रति परानुभूति का भाव अपनाने से वरिष्ठ व अधीनस्थ, संस्कृति के द्वन्द्द से बचा जा सकता है। आयोग की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि सामाजिक उत्तरदायित्वों के मानकों को बनाए रखने के क्रम में सिविल सेवकों से उचित व्यवहार को कठोर नियमों-विनियमों द्वारा ही सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि भारत में सिविल सेवकों को प्रभावी, समावेशी प्रशिक्षण के माध्यम से इस लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास किया जाता है।

 

प्रस्तावित सिविल सर्विस स्टैंडर्ड्स, परफॉरमेन्स एंड अकाउंटिबिलिटी बिल, 2010 के माध्यम से सिविल सेवा के आचार व नैतिकता को मजबूती से पिरोने के प्रयास भारत सरकार द्वारा किए गए हैं। प्रस्तावित विधेयक की मूल विशेषताएँ निम्नवत्‌ हैं-

 

* सिविल सेवा मूल्यों का स्पष्टीकरण व उनकी समावेश।

* सिविल सर्विस कोड ऑफ एथिक्स एण्ड कंडक्ट।

* सिविल सेवाओं में नियुक्ति।

* कार्य निष्पादन प्रबंधन प्रणाली का विकास व सुदृढ़ीकरण ।

* सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना ।

 

पब्लिक सर्विस बिल, 2006 

 

भारत में लोक सेवाओं के विनियमन के लिए सांविधिक आधार उपलब्ध कराने का प्रावधान इस विधेयक में किया गया है। लोक सेवाओं के मूलभूत मूल्यों, पब्लिक सर्विस कोड ऑफ एथिक्स, लोक सेवा प्रबंधन संहिता, व्हिसल ब्लोअर के संरक्षण, लोक सेवाओं के विनियमन वाली भर्ती संहिता (recruitment code), लोक सेवाओं के उचित ढंग से विकास व सुचारू रूप से कार्य करने के लिए पब्लिक सर्विस अथॉरिटी का गठन आदि मुदृदे इस विधेयक में शामिल हैं।

 

इस विधेयक का उद्देश्य लोक सेवाओं को दक्ष, पेशेवर, राजनीति रूप से तटस्थ, योग्यता आधारित, जवाबदेह व सुशासन के आवश्यक उपकरण के रूप में विकसित करना है। वस्तुतः परानुभूति जैसे गुणों की आवश्यकता नागरिक व राज्य के मध्य सम्बन्धों में आए बदलाव को ध्यान में रखकर स्पष्ट की जाती है। वर्तमान समय में सिविल सेवकों के लिए आचार मानकों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद-309 के तह्ठत सिविल सर्विस (कंडक्ट) रूल्स में उल्लिख़ित आचरण नियमों (Conduct Rules) के आधार पर किया जाता है। इस पर एक कानून की आवश्यकता को समझकर ही भारत सरकार द्वारा सिविल सर्विस स्टैंडर्ड्स, परफॉरमेन्स एंड अकाउंटिबिलिटी बिल,2010 को लाया गया, जिसमें सिविल सेवकों को बहुआयामी ढंग से कार्यकुशल बनाने के लिए प्रावधान किए गए हैं।इसके अलावा कर्मचारी, लोक शिकायत व पेंशन मंत्रालय तथा लालबहादुर शास्त्री एकेडमी द्वारा सिविल सेवकों को समायोजनकारी क्षमताओं से लैस करने के अनेक प्रयास किए हैं।