पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (30-July-2020)^मगुरी-मोटापुंग वेटलैंड (Maguri-Motapung Wetland)
Posted on July 30th, 2020
असम स्थित मगुरी-मोटापुंग वेटलैंड (Maguri-Motapung Wetland) डिब्रू-साइखोवा नेशनल पार्क तथा डिब्रू-साइखोवा जैव संरक्षित क्षेत्र से 10 किमी दक्षिण में स्थित है।इस आर्द्रभूमि का नाम ‘कैटफ़िश क्लैरियस बैट्रेकस’ (Catfish Clarius Batrachus) के लिए स्थानीय शब्द ‘मगुर’ से लिया गया है, जो यहां बहुतायत में पाया जाता है। मोटापुंग पास में स्थित एक गाँव है।इसे वर्ष 1996 में एक महत्वपूर्ण पक्षी और जैव विविधता क्षेत्र (Important Bird and Biodiversity Area- IBA) घोषित किया गया था।
यह आर्द्र्भूमि असम के राष्ट्रीय उद्यान को अरुणाचल प्रदेश के नामदापा नेशनल पार्क से जोड़ती है, तथा भारत-बर्मा जैव विविधता हॉटस्पॉट में एक महत्वपूर्ण वन्यजीव गलियारे का निर्माण करती है।यह आर्द्र्भूमि, ब्रह्मपुत्र नदी के बाढ़ के मैदान में स्थित है, तथा उत्तर में लोहित नदी और दक्षिण में डिब्रू इसकी सीमायें बनाते है।
कुछ समय तिनसुकिया के बाघजान गांव में स्थित ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के प्लांट में विस्फोट (ब्लोआउट) होने से प्राकृतिक गैस का रिसाव हुआ था। यह आर्द्र्भूमि उस स्थान से 500 मीटर की दूरी पर स्थित है।
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (30-July-2020)मगुरी-मोटापुंग वेटलैंड (Maguri-Motapung Wetland)
असम स्थित मगुरी-मोटापुंग वेटलैंड (Maguri-Motapung Wetland) डिब्रू-साइखोवा नेशनल पार्क तथा डिब्रू-साइखोवा जैव संरक्षित क्षेत्र से 10 किमी दक्षिण में स्थित है।इस आर्द्रभूमि का नाम ‘कैटफ़िश क्लैरियस बैट्रेकस’ (Catfish Clarius Batrachus) के लिए स्थानीय शब्द ‘मगुर’ से लिया गया है, जो यहां बहुतायत में पाया जाता है। मोटापुंग पास में स्थित एक गाँव है।इसे वर्ष 1996 में एक महत्वपूर्ण पक्षी और जैव विविधता क्षेत्र (Important Bird and Biodiversity Area- IBA) घोषित किया गया था।
यह आर्द्र्भूमि असम के राष्ट्रीय उद्यान को अरुणाचल प्रदेश के नामदापा नेशनल पार्क से जोड़ती है, तथा भारत-बर्मा जैव विविधता हॉटस्पॉट में एक महत्वपूर्ण वन्यजीव गलियारे का निर्माण करती है।यह आर्द्र्भूमि, ब्रह्मपुत्र नदी के बाढ़ के मैदान में स्थित है, तथा उत्तर में लोहित नदी और दक्षिण में डिब्रू इसकी सीमायें बनाते है।
कुछ समय तिनसुकिया के बाघजान गांव में स्थित ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के प्लांट में विस्फोट (ब्लोआउट) होने से प्राकृतिक गैस का रिसाव हुआ था। यह आर्द्र्भूमि उस स्थान से 500 मीटर की दूरी पर स्थित है।