पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (16 -Sept-2020)^खराई ऊंट (Kharai Camel)
Posted on September 16th, 2020
इन ऊँटों को ‘तैरने वाले ऊंट’ (Swimming Camels) के नाम से भी जाना जाता है।ये केवल गुजरात के भुज क्षेत्र में पाए जाते है।
बेहतर संरक्षण के लिए खराई ऊंट को एक पृथक नस्ल (भारत में पाई जाने वाली नौ नस्लों में से एक) के रूप में मान्यता दी गई है।यह ऊँट कच्छ के रण की अत्यधिक कड़ी जलवायु के अनुकूल है, इस क्षेत्र में उथले समुद्र और उच्च लवणता पायी जाती है।
यह तटीय और शुष्क पारिस्थितिक तंत्र दोनों में रह सकते है। यह लवणीय / मैंग्रोव वृक्षों की चराई करते है तथा उच्च खारे पानी के प्रति सहनशील होते है।यह अपने मुख्य भोजन, मैंग्रोव की तलाश में तीन किलोमीटर तक समुद्र में तैर सकते है।
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (16 -Sept-2020)खराई ऊंट (Kharai Camel)
इन ऊँटों को ‘तैरने वाले ऊंट’ (Swimming Camels) के नाम से भी जाना जाता है।ये केवल गुजरात के भुज क्षेत्र में पाए जाते है।
बेहतर संरक्षण के लिए खराई ऊंट को एक पृथक नस्ल (भारत में पाई जाने वाली नौ नस्लों में से एक) के रूप में मान्यता दी गई है।यह ऊँट कच्छ के रण की अत्यधिक कड़ी जलवायु के अनुकूल है, इस क्षेत्र में उथले समुद्र और उच्च लवणता पायी जाती है।
यह तटीय और शुष्क पारिस्थितिक तंत्र दोनों में रह सकते है। यह लवणीय / मैंग्रोव वृक्षों की चराई करते है तथा उच्च खारे पानी के प्रति सहनशील होते है।यह अपने मुख्य भोजन, मैंग्रोव की तलाश में तीन किलोमीटर तक समुद्र में तैर सकते है।