राष्ट्रीय समसामियिकी 2 (16-Sept-2020)
देश में फाॅरेंसिक प्रयोगशालाओं की अपर्याप्त संख्या
(Inadequate number of forensic laboratories in the country)

Posted on September 16th, 2020 | Create PDF File

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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कुछ सदस्यों ने देश में फाॅरेंसिक प्रयोगशालाओं की अपर्याप्त संख्या पर अपनी चिंता व्यक्त की है।NHRC के सदस्यों के अनुसार, देश में फाॅरेंसिक प्रयोगशालाओं की एक बड़ी चिंता का विषय है, यह समस्या साक्ष्यों की जाँच में देरी, न्यायालयों में लंबित मामलों और जेलों में विचाराधीन कैदियों की भारी संख्या का एक बड़ा कारण भी है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि फाॅरेंसिक साक्ष्यों को सही से एकत्र किया जाए और उन्हें समय पर संरक्षित किया जाए तो आपराधिक मामलों (विशेषकर यौन उत्पीडन से संबंधित) को शीघ्र हल किया जा सकता है।



अप्रैल 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र राज्य में फाॅरेंसिक प्रयोगशालाओं में लगभग 30,000 से अधिक मामले लंबित थे।फाॅरेंसिक प्रयोगशालाओं में कर्मचारियों की कमी भी एक बड़ी समस्या है, सितंबर 2019 तक महाराष्ट्र में विभिन्न फाॅरेंसिक प्रयोगशालाओं के लिये निर्धारित कुल 1,500 पदों में से 733 की नियुक्ति की गई थी।अगस्त 2019 में आगरा (उत्तर प्रदेश) ज़िले में ही विभिन्न न्यायालयों में लगभग 6,000 मामले फाॅरेंसिक रिपोर्ट न मिलने के कारण लंबित थे, इनमें से लगभग 2,600 मामले दो वर्ष से अधिक पुराने थे।

 


केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा देश में फाॅरेंसिक प्रयोगशालाओं के नवीनीकरण हेतु राज्य सरकारों के लिये निर्भया फंड (Nirbhaya Fund) से 200 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।दिसंबर, 2019 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ‘विधि विज्ञान सेवा निदेशालय’ (Directorate of Forensic Science Services) के तहत देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित केंद्रीय फाॅरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (Central Forensic Science Laboratories- CFSL) के नवीनीकरण का निर्णय लिया गया था।ये 6 CFSL चंडीगढ़, हैदराबाद, कोलकाता, भोपाल, पुणे और गुवाहाटी में स्थित हैं।साझा अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये फाॅरेंसिक विज्ञान सेवा निदेशालय, नई दिल्ली और गुजरात फाॅरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के व्यवहार विज्ञान संस्थान [Institute of Behavioural Sciences, Gujarat Forensic Science University (GFSU)] के बीच एक समझौता-ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इन प्रयासों के माध्यम से केंद्र सरकार का उद्देश्य गंभीर और जघन्य अपराधों में अधिक कुशल और वैज्ञानिक जांच की सुविधा को उपलब्ध कराना है।



फाॅरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाएँ किसी भी अपराध के मामले में पीड़ित पक्ष को शीघ्र न्याय प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, परंतु वर्तमान में देश में फाॅरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं की कमी न्याय प्रणाली की धीमी गति का एक प्रमुख कारण है।सरकार द्वारा देश में आधुनिक फाॅरेंसिक प्रयोगशालाओं की स्थापना के साथ विशेषज्ञों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना चाहिये।साथ ही पुलिस कर्मियों को साक्ष्य एकत्र करने और फाॅरेंसिक विज्ञान से जुड़े नए अध्ययनों के संदर्भ में जागरूक करने हेतु समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिये।