राष्ट्रीय समसामियिकी 1 (16-Sept-2020)^एंटी सैटेलाइट मिसाइल (A-SAT) पर डाक टिकट (Postage Stamp released on A-SAT)
Posted on September 16th, 2020
इंजीनियर्स डे के अवसर पर डाक विभाग द्वारा भारत के पहले एंटी सैटेलाइट मिसाइल (A-SAT) के नाम पर एक विशिष्ट रूप से निर्मित ‘मेरा डाक टिकट’ (Customized My Stamp) जारी किया गया।27 मार्च 2019 को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा ओडिशा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से एंटी-सैटेलाइट (A-SAT) मिसाइल परीक्षण ‘मिशन शक्ति’ का सफल परीक्षण किया गया था।DRDO द्वारा निर्मित A-SAT मिसाइल ने सफलतापूर्वक पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit-LEO) में परिक्रमा कर रहे भारतीय सैटेलाइट को ‘हिट टू किल’ मोड में निशाना बनाया।यह इंटरसेप्टर मिसाइल तीन चरणों वाली मिसाइल थी जिसमें दो ठोस रॉकेट बूस्टर प्रयोग किये गए थे।
भारत, इस विशिष्ट और आधुनिक क्षमता हासिल करने वाला चौथा देश है, और इसे पूरी तरह से स्वदेशी तकनीकों से प्राप्त किया गया है।अब तक, केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास अंतरिक्ष में किसी सक्रिय लक्ष्य को नष्ट करने की क्षमता थी।
इस परीक्षण को निचले वातावरण में किया गया था ताकि परीक्षण के परिणामस्वरूप अंतरिक्ष में कोई मलबा निर्मित न हो। परीक्षण से जो भी मलबा निर्मित होगा, वह कुछ ही हफ़्तों में पृथ्वी पर वापस गिर जाएगा।
अंतरिक्ष में हथियारों की तैनाती संबंधी विषयों पर प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संधि ‘बाहरी अंतरिक्ष संधि’, 1967 (Outer Space Treaty,1967) है।बाहरी अंतरिक्ष संधि के तहत बाह्य अंतरिक्ष में केवल सामूहिक विनाश के हथियारों को प्रतिबंधित किया गया है, न कि सामान्य हथियारों को।भारत इस संधि पर एक हस्ताक्षरकर्ता है, और इसने वर्ष 1982 में इस संधि की अभिपुष्टि की थी।
राष्ट्रीय समसामियिकी 1 (16-Sept-2020)एंटी सैटेलाइट मिसाइल (A-SAT) पर डाक टिकट (Postage Stamp released on A-SAT)
इंजीनियर्स डे के अवसर पर डाक विभाग द्वारा भारत के पहले एंटी सैटेलाइट मिसाइल (A-SAT) के नाम पर एक विशिष्ट रूप से निर्मित ‘मेरा डाक टिकट’ (Customized My Stamp) जारी किया गया।27 मार्च 2019 को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा ओडिशा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से एंटी-सैटेलाइट (A-SAT) मिसाइल परीक्षण ‘मिशन शक्ति’ का सफल परीक्षण किया गया था।DRDO द्वारा निर्मित A-SAT मिसाइल ने सफलतापूर्वक पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit-LEO) में परिक्रमा कर रहे भारतीय सैटेलाइट को ‘हिट टू किल’ मोड में निशाना बनाया।यह इंटरसेप्टर मिसाइल तीन चरणों वाली मिसाइल थी जिसमें दो ठोस रॉकेट बूस्टर प्रयोग किये गए थे।
भारत, इस विशिष्ट और आधुनिक क्षमता हासिल करने वाला चौथा देश है, और इसे पूरी तरह से स्वदेशी तकनीकों से प्राप्त किया गया है।अब तक, केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास अंतरिक्ष में किसी सक्रिय लक्ष्य को नष्ट करने की क्षमता थी।
इस परीक्षण को निचले वातावरण में किया गया था ताकि परीक्षण के परिणामस्वरूप अंतरिक्ष में कोई मलबा निर्मित न हो। परीक्षण से जो भी मलबा निर्मित होगा, वह कुछ ही हफ़्तों में पृथ्वी पर वापस गिर जाएगा।
अंतरिक्ष में हथियारों की तैनाती संबंधी विषयों पर प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संधि ‘बाहरी अंतरिक्ष संधि’, 1967 (Outer Space Treaty,1967) है।बाहरी अंतरिक्ष संधि के तहत बाह्य अंतरिक्ष में केवल सामूहिक विनाश के हथियारों को प्रतिबंधित किया गया है, न कि सामान्य हथियारों को।भारत इस संधि पर एक हस्ताक्षरकर्ता है, और इसने वर्ष 1982 में इस संधि की अभिपुष्टि की थी।