केन्द्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम व पारदर्शिता का मुद्दा (Issue of Central Civil Services (conduct) rules and transparency)

Posted on April 6th, 2020 | Create PDF File

hlhiuj

केन्द्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम व पारदर्शिता का मुद्दा

(Issue of Central Civil Services (conduct) rules and transparency) 

 

केन्द्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम सूचना के अनधिकृत सम्प्रेषण पर रोक लगाता है। इस नियम के अनुसार कोई भी सरकारी कर्मचारी, सिवाय सरकार के सामान्य अथवा विशेष आदेश के अनुसार अथवा उसे सौंपे गए कर्त्तव्यों के सदृभावना से निष्पादन के दौरान, किसी सरकारी सेवक को अथवा किसी अन्य व्यक्ति को, जिसे वह ऐसा दस्तावेज अथवा सूचना संप्रेषित करने के लिए प्राधिकृत नहीं है, कोई आधिकारिक दस्तावेज अथवा उसका कोई भाग, प्रत्यक्ष रूप से अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संप्रेषित नहीं करेगा। राज्य सरकारों के कर्मचारियों के लिए उनके अपने-अपने नियमों के अन्तर्गत ऐसे ही प्रावधान मौजूद हैं।

 

शौरी समिति का इस सन्दर्भ में मूल्यांकन है, “यह एक आम धारणा है कि केन्द्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 और रेलवे, विदेशी मामले तथा अखिल भारतीय सेवाओं के लिए लागू तदनुरूपी नियम, सरकारी सेवकों को जनता के साथ जानकारी बांटने की मनाही करते हैं। इन नियमों में जनता को सूचना की मनाही के प्रति झुकाव है। यदि सूचना के अधिकार अधिनियम को अपना प्रयोजन सिद्ध करना है और यदि पद्धति में पारदर्शिता लाई जानी है, तो स्थिति में स्पष्टतः बदलाव लाना होगा।” शौरी समिति ने पारदर्शिता के अभाव को सूचना के वर्गीकरण से जोड़कर देखा है। समिति का माना है, “पारदर्शिता के अभाव का एक बड़ा योगदानकर्ता सूचक को वर्गीकृत करने की प्रवृत्ति का होना है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी विभागीय सुरक्षा अनुदेश मैनुअल और कार्यालय पद्धति मैनुअल, जिसमें इसमें से कुछ एक अनुदेश सम्मिलित हैं, में वर्गीकरण के सम्बन्ध में मापदण्ड और मार्गनिर्देश निर्धारित किए गए हैं तथा वर्गीकरण ग्रेडिंग, अर्थात्‌ परम गुप्त, गोपनीय, प्राधिकृत करने के लिए सक्षम प्राधिकारी विनिर्दिष्ट किए गए हैं।"

 

पारदर्शिता और सूचना का अधिकार, उत्तम शासन के लिए एक पूर्व शर्त है। सूचना की सुलभता नागरिकों को सार्वजनिक नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाती है और इस प्रकार सरकार को और अधिक जवाबदेह बनाती है और भागीदारीपूर्ण प्रजातंत्र को सुदृढ़ बनाने मेमें और नागरिक-केन्द्रित शासन में सहायता प्रदान करती है। यह नागरिकों को सरकार की नीतियों के बारे में अपने-आपको अवगत रखने के जो अधिकार उन्हें प्राप्त हैं तथा सरकार से सेवा के रूप में उन्हें किस बात की उम्मीद करनी चाहिए, यह जानने में समर्थ बनाता है।

 

शासन व्यवस्था में जवाबदेहिता सुनिश्चित करने से नागरिक केन्द्रित प्रशासन की धारणा को बल मिलता है। सुशासन के लक्ष्य की प्राप्ति में जवाबदेहिता को विश्व बैंक ने महत्वपूर्ण आवश्यकता के रूप में बतलाया है। पद, पद की मर्यादा, पद के अधिदेश (Mandate) के अनुरूप लोकहित में कार्य करने की प्रवृत्ति को जवाबदेहिता कहा जाता है। हस्तक्षेपों, दबावों, प्रभावों व प्रलोभनों से प्रभावित हुए बिना अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करने वाले अधिकारी तंत्र अथवा कर्मचारी तंत्र अनुक्रियाशील शासन (Responsive Governance) के गठन में सहायक होते हैं।