शासन को बेहतर बनाने के लिए पहुंच और दायित्व को सुनिश्चित करना (Ensuring access and responsibility to improve governance)

Posted on April 6th, 2020 | Create PDF File

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शासन को बेहतर बनाने के लिए पहुंच और दायित्व को सुनिश्चित करना 

(Ensuring access and responsibility to improve governance)

 

सरकारी विभागों को जनता की पहुंच में होना चाहिए और उनकी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें शिकायतों के तुरन्त समाधान के लिए भी उत्तरदायी होना चाहिए। इस बात को सुनिश्चित करने के लिए, यह आवश्यक है कि प्रत्येक विभाग में उपलब्ध सुविधाओं, रियायतों और अधिकारों को प्राप्त करने और शिकायतों का समाधान किए जाने की कार्य-पद्धति के साथ उन्हें सार्वजनिक किया जाना चाहिए और उन प्राधिकारियों के ब्यौरे जनता के अधिकार-क्षेत्र में कर दिए जाने चाहिए जो इन्हें मंजूर करने के लिए सक्षम हैं। सेवा मानकों की परिभाषा करने की आवश्यकता है। प्रत्येक विभाग के लिए यह आवश्यक होना चाहिए कि वह ग्राहकों की समस्याओं को समझने के लिए कदम उठाए, उन मानदण्डों का निर्धारण करे जिनका वह विभाग अपनी सेवाओं के प्रावधान में निर्वाह करेगा और उन शर्तों का अनुबंध करे कि जिनका अनुपालन करने के लिए ग्राहक उन्हें पूरा करेगा। यदि ग्राहक और भी समाधान चाहे तो अपील की जाने की कार्य-पद्धति का भी संकेत किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना भी आवश्यक है कि आवेदनों का समय पर निपटारा कर दिया जाए। इसे करने के लिए आवेदनों की विभिन्‍न श्रेणियों के निपटारे के लिए समय-सीमा निर्धारित की जानी चाहिए। प्रशासनिक सुधार पर रुस्तमजी समिति ने विभिन्‍न विभागों में नागरिकों द्वारा अपेक्षित 187 सेवाओं का पता लगाया था और उनके निपटान के लिए समय सीमा तय की थी। समय की रूपरेखा का संकलन किया गया था और सरकार ने 'समय - रूपरेखा' पर एक पुस्तिका निकाली थी, जो सभी सरकारी विभागों और जनता के प्रतिनिधियों में वितरित की गई थी। प्रत्येक विभाग में प्रदान करने के लिए समय-रूपरेखा का निर्धारण और इन ब्यौरों को सभी कार्यालयों में और इंटरनेट पर उपलब्ध कराने के लिए ऐसे प्रयास पर पुनः जोर देने और उसे जारी रखने की आवश्यकता है। विभिन्‍न सेवाओं के लिए नागरिक चार्टर का अभियान इस दिशा में सही कदम होगा।

 

सरकारी कार्यालयों में पारदर्शिता को सुधारने के लिए विविध छोटे-छोटे उपाय किए जाने सम्भव हैं। आगे के स्तर पर सहायता मेज, अधिकारियों के नामों को मुख्य रूप में दिखाना, स्वतः कॉल केन्द्र और सेवा सुपुर्दगी की सरलीकृत कम्प्यूटरीकृत प्रणालियां, सही दिशा में कदम हैं। उन कामों को कुछ हाथों में केन्द्रित करने से बचना चाहिए जिनसे भ्रष्टाचार होता है। इन कामों को,जहाँ तक सम्भव हो, गतिविधियों में बांट दिया जाना चाहिए, जिसे विभिन्‍न लोगों द्वारा किया जाता हो। जनता से बातचीत कार्यालय अध्यक्ष और कुछ अभिषद्ठित अधिकारियों तक सीमित रहनी चाहिए। इसे सूचना प्रदान करने के लिए "एकल खिड़की के फ्रंट कार्यालय" द्वारा कार्यान्चित किया जा सकता है।

 

 

सरकारी सेवकों की जनता तक पहुंच इस तरह से अभिकल्पित की जानी चाहिए कि जिससे नागरिकों और सरकारी पदाधिकारियों के बीच नियमित, समयबद्ध और सहानुभूतिपूर्वक बातचीत को सुनिश्चित किया जा सके। इस ओर से सरकारी विभागों में व्यावसायिक प्रक्रिया को फिर से चाक-चौबन्द किया जाना चाहिए ताकि बैंक कार्यालय कृत्यों को पृथक किया जा सके और वह समयबद्ध तरीके से 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर विवेकशीलता के लिए न्यूनतम गुंजाइश के साथ पूरा किया जा सके, जबकि फ्रंट कार्यालय पूरी जनता के सामने सेवाएं प्रदान करने के लिए "एकल खिड़की" होगी।

 

 

द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की चौथी रिपोर्ट में सम्बन्धित सिफारिशें-

(Related recommendations in Fourth Report of the 2nd ARC)

 

1.सेवा प्रदाताओं को अपनी गतिविधियों को केन्द्रीकृत करना चाहिए ताकि सभी सेवाओं की एक ही बिन्दु पर सुपुर्दगी की जा सके। ऐसे सामान्य सेवा बिन्दुओं को किसी एजेंसी को आउटसोर्स भी किया जा सकता है, जिसे नागरिकों के अनुरोध को सम्बन्धित एजेंसियों के साथ उठाए जाने का काम दिया जा सकता है।

 

2.ऐसे कार्यों को, जिनसे भ्रष्टाचार फैलता हो, विभिन्‍न गतिविधियों में विभाजित किया जाना चाहिए, जिन्हें आगे विभिन्‍न लोगों को सौंपा जा सकता है।

 

3.सार्वजनिक सम्पर्क को प्राघिकृत अधिकारियों तक ही सीमित रखा जाना चाहिए। नागरिकों को फाइल निगरानी व्यवस्था के साथ चूना और सेवाएँ प्रदान करने के लिए एकल खिड़की का मुख्य कार्यालय” सभी विभागों में गठित किया जाना चाहिए।