शासन को बेहतर बनाने के लिए शिकायतों पर निगरानी रखना (Monitoring complaints to improve governance)
Posted on April 6th, 2020
शासन को बेहतर बनाने के लिए शिकायतों पर निगरानी रखना
(Monitoring complaints to improve governance)
शिकायतों का विकल्प एक नागरिक के हाथों में अपनी परेशानी का निवारण कराने में एक महत्वपूर्ण साधन होता है। अक्सर इन शिकायतों पर बाकायदा ध्यान नहीं दिया जाता। भारत में अधिकतर लोक कार्यालयों में शिकायत निगरानी प्रणाली है परन्तु अकसर यह प्रणाली काम नहीं करती, क्योंकि शिकायत उस अधिकारी तक पहुंच कर समाप्त हो जाती है, जिसके विरुद्ध आरोप लगाए जाते हैं। प्रायः एक शिकायतकर्ता को सरकार से उत्तर मिलने में अनेक महीने लग जाते हैं (वह भी तब जब कोई उत्तर दे दें)। इस परिप्रेक्ष्य में कुछ देशों में इसका विरोधाभास दिखाई देता है।उदाहरण के लिए, हांगकांग में आईसीएसी (Independent Commission Against Corruption) किसी शिकायत का उत्तर 48 घंटों के भीतर दे देती है। इसी प्रकार, सिंगापुर में, आयोग के कार्यालय में शिकायत-कर्ता को पांच मिनट के भीतर निपटा दिया जाता है। शिकायत को 24 घंटों के भीतर देख लिया जाता है और कोई जांच या छानबीन दो महीनों के अन्दर पूर्ण कर ली जाती है। हमारे जैसे आकार और जटिलता वाले देश में कुछ प्रयास किए जाने आवश्यक हैं। जब तक लोक निकाय शीघ्रता से उत्तर नहीं देंगे, तब तक नागरिक के सभी प्रश्न विफल ही होंगे। शिकायतों पर निगरानी रखी जानी चाहिए, उनका अनुपालन किया जाना चाहिए और किसी विशिष्ट अवधि के भीतर, जिसका उल्लेख आमतौर पर किया जाना चाहिए और निरीक्षण अधिकारी द्वारा विशेष मामले में यह दिया जाना चाहिए, उसके परिणाम आने चाहिए। कार्रवाई का नियमित रूप से मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशें (Recommendations of 2nd ARC)-
1.ऐसे सभी कार्यालयों में, जहाँ बड़ी संख्या में सार्वजनिक सम्पर्क होता हो, वहाँ ऑन-लाइन शिकायत निगरानी व्यवस्था होनी चाहिए। यदि सम्भव हो, तो शिकायत निगरानी का काम आउटसोर्स से किया जाना चाहिए।
2. ऐसे कार्यालयों में जहाँ बड़ी संख्या में सार्वजनिक सम्पर्क होता हो, वहाँ शिकायतों की लेखा परीक्षा का बाहरी, सावधिक तंत्र होना चाहिए।
3. प्रत्येक शिकायत की जांच करने और यदि कोई त्रुटियाँ हो तो उसका उत्तरदायित्व तय करने के अतिरिक्त, शिकायत का प्रयोग व्यवस्थित त्रुटि का विश्लेषण करने के लिए भी किया जाना चाहिए ताकि उपचारी उपाय किए जा सके।
शासन को बेहतर बनाने के लिए शिकायतों पर निगरानी रखना (Monitoring complaints to improve governance)
शासन को बेहतर बनाने के लिए शिकायतों पर निगरानी रखना
(Monitoring complaints to improve governance)
शिकायतों का विकल्प एक नागरिक के हाथों में अपनी परेशानी का निवारण कराने में एक महत्वपूर्ण साधन होता है। अक्सर इन शिकायतों पर बाकायदा ध्यान नहीं दिया जाता। भारत में अधिकतर लोक कार्यालयों में शिकायत निगरानी प्रणाली है परन्तु अकसर यह प्रणाली काम नहीं करती, क्योंकि शिकायत उस अधिकारी तक पहुंच कर समाप्त हो जाती है, जिसके विरुद्ध आरोप लगाए जाते हैं। प्रायः एक शिकायतकर्ता को सरकार से उत्तर मिलने में अनेक महीने लग जाते हैं (वह भी तब जब कोई उत्तर दे दें)। इस परिप्रेक्ष्य में कुछ देशों में इसका विरोधाभास दिखाई देता है।उदाहरण के लिए, हांगकांग में आईसीएसी (Independent Commission Against Corruption) किसी शिकायत का उत्तर 48 घंटों के भीतर दे देती है। इसी प्रकार, सिंगापुर में, आयोग के कार्यालय में शिकायत-कर्ता को पांच मिनट के भीतर निपटा दिया जाता है। शिकायत को 24 घंटों के भीतर देख लिया जाता है और कोई जांच या छानबीन दो महीनों के अन्दर पूर्ण कर ली जाती है। हमारे जैसे आकार और जटिलता वाले देश में कुछ प्रयास किए जाने आवश्यक हैं। जब तक लोक निकाय शीघ्रता से उत्तर नहीं देंगे, तब तक नागरिक के सभी प्रश्न विफल ही होंगे। शिकायतों पर निगरानी रखी जानी चाहिए, उनका अनुपालन किया जाना चाहिए और किसी विशिष्ट अवधि के भीतर, जिसका उल्लेख आमतौर पर किया जाना चाहिए और निरीक्षण अधिकारी द्वारा विशेष मामले में यह दिया जाना चाहिए, उसके परिणाम आने चाहिए। कार्रवाई का नियमित रूप से मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशें (Recommendations of 2nd ARC)-
1.ऐसे सभी कार्यालयों में, जहाँ बड़ी संख्या में सार्वजनिक सम्पर्क होता हो, वहाँ ऑन-लाइन शिकायत निगरानी व्यवस्था होनी चाहिए। यदि सम्भव हो, तो शिकायत निगरानी का काम आउटसोर्स से किया जाना चाहिए।
2. ऐसे कार्यालयों में जहाँ बड़ी संख्या में सार्वजनिक सम्पर्क होता हो, वहाँ शिकायतों की लेखा परीक्षा का बाहरी, सावधिक तंत्र होना चाहिए।
3. प्रत्येक शिकायत की जांच करने और यदि कोई त्रुटियाँ हो तो उसका उत्तरदायित्व तय करने के अतिरिक्त, शिकायत का प्रयोग व्यवस्थित त्रुटि का विश्लेषण करने के लिए भी किया जाना चाहिए ताकि उपचारी उपाय किए जा सके।