राजव्यवस्था समसामियिकी 1 (7-Aug-2020)
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India)

Posted on August 7th, 2020 | Create PDF File

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू को भारत के नए नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के रूप में नियुक्त किया गया है।

 

भारत के संविधान के भाग V के अंतर्गत भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के एक स्वतंत्र पद का प्रावधान किया गया है।भारत के संविधान में CAG का उल्लेख अनुच्छेद 148 – 151 के तहत किया गया है।यह भारतीय लेखा परीक्षण तथा लेखा विभाग के प्रमुख होते हैं।यह लोक वित्त के संरक्षक तथा देश की संपूर्ण वित्तीय व्यवस्था के नियंत्रक होते हैं। इसका नियंत्रण राज्य एवं केंद्र दोनों स्तरों पर होता है।इसका कर्तव्य भारत के संविधान एवं संसद की विधियों के तहत वित्तीय प्रशासन को बनाए रखना है।

 

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा की जाती है।CAG का कार्यकाल 6 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक होता है।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, भारत की संचित निधि, प्रत्येक राज्य की संचित निधि तथा प्रत्येक संघ शासित प्रदेश, जहाँ विधान सभा हो, से सभी व्यय संबंधी लेखाओं की लेखा परीक्षा करता है।वह भारत की संचित निधि और भारत के लोक लेखा सहित प्रत्येक राज्य की आकस्मिक निधि तथा लोक लेखा से सभी व्यय की लेखा परीक्षा करता है।वह केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के किसी भी विभाग द्वारा सभी ट्रेडिंग, विनिर्माण, लाभ और हानि खातों, बैलेंस शीट और अन्य अनुषंगी लेखाओं की लेखा परीक्षा करता है।वह केंद्र और प्रत्येक राज्य द्वारा अनुदान प्राप्त सभी निकायों और प्राधिकरणों की प्राप्तियों और व्यय की लेखा परीक्षा करता है, इसके साथ ही संबध नियमों द्वारा आवश्यक होने पर सरकारी कंपनियों, अन्य निगमों एवं निकायों का भी लेखा परीक्षण करता है।वह किसी कर अथवा शुल्क की शुद्ध आगमों का निर्धारण एवं प्रमाणन करता है और इन मामलों में उसका प्रमाणपत्र अंतिम होता है।CAG, संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee– PAC) के मार्गदर्शक, मित्र और दार्शनिक के रूप में कार्य करता है।


CAG के कार्यालय के प्रशासनिक व्यय, जिसके अंतर्गत उस कार्यालय में सेवारत व्यक्तियों के सभी वेतन, भत्ते और पेंशन आते है, भारत की संचित निधि पर भारित होंगे। अतः इन पर संसद में मतदान नहीं हो सकता।