12वीं पंचवर्षीय योजना का दृष्टिकोण प्रपत्र और शासन एवं सुशासन
Posted on April 6th, 2020
12वीं पंचवर्षीय योजना का दृष्टिकोण प्रपत्र और शासन एवं सुशासन
(Approach Paper of the 12th Five Year Plan and Governance & Good Governance)
12वीं पंचवर्षीय योजना के दृष्टिकोण प्रपत्र का मानना है कि शासन की समस्या का हल तीन तरह से निकाला जा सकता है। पहला व्यवस्थित सुधार से सम्बन्धित है जो नए कार्यक्रमों पर सरकार के योजना व्यय की कारगरता में संवृद्धि करता है। दूसरे का सम्बन्ध सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रदान कराई जा रही सेवाओं की ग्राहक संतुष्टि में सुधार से है। तीसरे का सम्बन्ध भ्रष्टाचार और उस समझ से है जो हम इससे निपटने के लिए प्रयोग में ला सकते हैं।
12वीं पंचवर्षीय योजना के दृष्टिकोण के अनुसार, सुशासन (Good Governance) को अच्छी तरह से कार्यशील समाज एक अनिवार्य तत्व के रूप में बढ़-चढ़कर देखा जाता है। यह संसाधनों का प्रभावकारी उपयोग और नागरिकों की सेवा प्रदायगी (Service Delivery) सुनिश्चित करता है तथा व्यवस्था को सामाजिक वैधता (Social Legitimacy) प्रदान करता है। दृष्टिकोण प्रपत्र का स्पष्ट मत है कि प्रजातंत्र में आय का स्तर बढ़ने से आकांक्षाएँ भी बढ़ने लगती हैं और त्रिस्तरीय शासन प्रणाली साधारण जन तक (grass root level) सुशासन की मांग बढ़ जाती है।
सुशासन, योजना परिव्ययों (Expenditure) से जमीनी आधार पर महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। यह आवश्यक इसलिए है क्योंकि सुशासन के बिना आवंटित संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग नहीं होता है, जनसेवा सुपुर्दगी का प्रबंधन ईष्टतम नहीं रहता है, सार्वजनिक व्यय की कार्यकुशलता प्रभावित होती है और अन्तत: यद्ठ प्राकृतिक संसाधनों के कारगर प्रबंधन को प्रभावित करता है।
12वीं पंचवर्षीय योजना का दृष्टिकोण प्रपत्र और शासन एवं सुशासन
12वीं पंचवर्षीय योजना का दृष्टिकोण प्रपत्र और शासन एवं सुशासन
(Approach Paper of the 12th Five Year Plan and Governance & Good Governance)
12वीं पंचवर्षीय योजना के दृष्टिकोण प्रपत्र का मानना है कि शासन की समस्या का हल तीन तरह से निकाला जा सकता है। पहला व्यवस्थित सुधार से सम्बन्धित है जो नए कार्यक्रमों पर सरकार के योजना व्यय की कारगरता में संवृद्धि करता है। दूसरे का सम्बन्ध सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रदान कराई जा रही सेवाओं की ग्राहक संतुष्टि में सुधार से है। तीसरे का सम्बन्ध भ्रष्टाचार और उस समझ से है जो हम इससे निपटने के लिए प्रयोग में ला सकते हैं।
12वीं पंचवर्षीय योजना के दृष्टिकोण के अनुसार, सुशासन (Good Governance) को अच्छी तरह से कार्यशील समाज एक अनिवार्य तत्व के रूप में बढ़-चढ़कर देखा जाता है। यह संसाधनों का प्रभावकारी उपयोग और नागरिकों की सेवा प्रदायगी (Service Delivery) सुनिश्चित करता है तथा व्यवस्था को सामाजिक वैधता (Social Legitimacy) प्रदान करता है। दृष्टिकोण प्रपत्र का स्पष्ट मत है कि प्रजातंत्र में आय का स्तर बढ़ने से आकांक्षाएँ भी बढ़ने लगती हैं और त्रिस्तरीय शासन प्रणाली साधारण जन तक (grass root level) सुशासन की मांग बढ़ जाती है।
सुशासन, योजना परिव्ययों (Expenditure) से जमीनी आधार पर महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। यह आवश्यक इसलिए है क्योंकि सुशासन के बिना आवंटित संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग नहीं होता है, जनसेवा सुपुर्दगी का प्रबंधन ईष्टतम नहीं रहता है, सार्वजनिक व्यय की कार्यकुशलता प्रभावित होती है और अन्तत: यद्ठ प्राकृतिक संसाधनों के कारगर प्रबंधन को प्रभावित करता है।