अंतर्राष्ट्रीय समसामियिकी 3 (2-Apr-2019)
विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस (World Autism Awareness Day)

Posted on April 2nd, 2019 | Create PDF File

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दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है।

 

इस वर्ष विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस की थीम- ‘सहायक प्रौद्योगिकी, सक्रिय भागीदारी’ है।


संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2 अप्रैल, 2007 को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस की घोषणा की थी।


इस दिवस पर ऑटिज़्म से ग्रस्त बच्चों और बड़ों के जीवन में सुधार के लिये कदम उठाने के साथ ही उन्हें सार्थक जीवन बिताने में सहायता दी जाती है।


भारत के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अनुसार प्रति 110 में से एक बच्चा ऑटिज़्म से ग्रस्त होता है और हर 70 बालकों में से एक बालक इस बीमारी से प्रभावित होता है।


इस बीमारी की चपेट में आने की बालिकाओं के मुकाबले बालकों की ज़्यादा संभावना होती है।


इस विकार को पहचानने का कोई निश्चित तरीका नहीं है, लेकिन शीघ्र निदान किये जाने की स्थिति में इसमें थोडा-बहुत सुधार लाया जा सकता है।


यह बीमारी दुनिया भर में पाई जाती है और इसका असर बच्चों, परिवारों, समुदाय और समाज पर पड़ता है।


ऑटिज़्म क्या है?


ऑटिज़्म (Autism) या आत्मविमोह/स्वलीनता, एक मानसिक रोग या मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला एक गंभीर विकार है। नीले रंग को ऑटिज़्म का प्रतीक माना गया है।


इस विकार के लक्षण जन्म या बाल्यावस्था (पहले तीन वर्षों में) में ही नज़र आने लगते है। यह विकार व्यक्ति की सामाजिक कुशलता और संप्रेषण क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालता है। यह जीवनपर्यंत बना रहने वाला विकार है।


इस विकार से पीड़ित बच्चों का विकास अन्य बच्चों से अलग होता है।


इससे प्रभावित व्यक्ति, सीमित और दोहराव युक्त व्यवहार करता है, जैसे- एक ही काम को बार-बार करना।