पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 2 (05-Mar-2021)
सिमलीपाल बायोस्फीयर रिज़र्व: ओडिशा
(Similipal Biosphere Reserve: Odisha)

Posted on March 5th, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में ओडिशा के सिमलीपाल बायोस्फीयर रिज़र्व (Similipal Biosphere Reserve) में भीषण आग की घटना देखी गई। हालाँकि इस बायोस्फीयर का मुख्य क्षेत्र (Core Area) आग से अछूता था, फिर भी इस प्रकार की आग से इसकी समृद्ध जैव विविधता को नुकसान पहुँच रहा है।

 

 

सिमलीपल का नाम 'सिमुल' (Simul- सिल्क कॉटन) के पेड़ से लिया गया है।आधिकारिक रूप से टाइगर रिज़र्व के लिये इसका चयन वर्ष 1956 में किया गया था, जिसको वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger) के अंतर्गत लाया गया।भारत सरकार ने जून 1994 में इसे एक जैवमंडल रिज़र्व (Biosphere Reserve) क्षेत्र घोषित किया।यह बायोस्फीयर रिज़र्व वर्ष 2009 से यूनेस्को के विश्व नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिज़र्व (UNESCO World Network of Biosphere Reserve) का हिस्सा है।यह सिमलीपाल-कुलडीहा-हदगढ़ हाथी रिज़र्व (Similipal-Kuldiha-Hadgarh Elephant Reserve) का हिस्सा है, जिसे मयूरभंज एलीफेंट रिज़र्व (Mayurbhanj Elephant Reserve) के नाम से जाना जाता है, इसमें 3 संरक्षित क्षेत्र यानी सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व, हदगढ़ वन्यजीव अभयारण्य और कुलडीहा वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।



यह ओडिशा के मयूरभंज ज़िले के उत्तरी भाग में स्थित है जो भौगोलिक रूप से पूर्वी घाट के पूर्वी छोर में स्थित है।सिमलीपाल में 1,076 फूलों की प्रजातियाँ और ऑर्किड की 96 प्रजातियाँ हैं। इसमें उष्णकटिबंधीय अर्द्ध-सदाबहार वन, उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वन, शुष्क पर्णपाती पहाड़ी वन और विशाल घास के मैदान मौज़ूद हैं।इस बायोस्फीयर रिज़र्व क्षेत्र में दो जनजातियाँ यथा- इरेंगा खारिया (Erenga Kharias) और मैनकर्डियास (Mankirdias) निवास करती हैं, जो आज भी पारंपरिक कृषि गतिविधियों (बीज और लकड़ी का संग्रह) के माध्यम से खाद्य संग्रहण करती हैं।

 

ओडिशा के अन्य प्रमुख संरक्षित क्षेत्र



* भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान: इस उद्यान में देश में लुप्तप्राय खारे पानी के मगरमच्छों का सबसे बड़ा समूह निवास करता है।

 

* बदरमा वन्यजीव अभयारण्य: यह आर्द्र साल वनों की उपस्थिति के लिये जाना जाता है।

 

* चिलिका (नलबण) वन्यजीव अभयारण्य: चिलिका झील एशिया की सबसे बड़ी और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी झील है।

 

* हदगढ़ वन्यजीव अभयारण्य: सालंदी नदी इस अभयारण्य से होकर गुज़रती है।

 

* बैसीपल्ली वन्यजीव अभयारण्य: यह बाघों, तेंदुओं, हाथियों और कुछ शाकाहारी जानवरों जैसे-चौसिंगा की एक महत्त्वपूर्ण संख्या के साथ बड़ी मात्रा में साल (Sal) वन से आच्छादित है।

 

* कोटगढ़ वन्यजीव अभयारण्य: यहाँ घास के मैदानों के साथ घने पर्णपाती वन भी पाए जाते हैं।

 

* नंदनकानन वन्यजीव अभयारण्य: यह विश्व में सफेद बाघों (White Tiger) और मैलेनिस्टिक टाइगर (Melanistic Tiger) का पहला प्रजनन केंद्र है।

 

* लखारी घाटी वन्यजीव अभयारण्य: यह अभयारण्य हाथियों की बड़ी संख्या निवास स्थान है।

 

* गहिरमाथा (समुद्री) वन्यजीव अभयारण्य: यह हिंद महासागर क्षेत्र में एक बड़ा सामूहिक प्रजनन केंद्र और ओडिशा का एकमात्र कछुआ अभयारण्य है। ओलिव रिडले कछुए गहिरमाथा के तट पर प्रजनन के लिये दक्षिण प्रशांत की यात्रा कर यहाँ आते हैं।