* संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से भारत द्वारा प्रायोजित और 70 से अधिक देशों द्वारा समर्थित प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपना लिया है, जिसमें 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ के रूप में घोषित करने की बात कही गई है।
* इस प्रस्ताव का प्राथमिक उद्देश्य बदलती जलवायु परिस्थितियों में बाजरे के स्वास्थ्य लाभ एवं खेती के लिये उसकी उपयुक्तता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
* ज्ञात हो कि बाजरे की खेती ऐतिहासिक रूप से व्यापक स्तर पर कई देशों में की जाती रही है, किंतु बीते कुछ समय से कई देशों में इसके उत्पादन में कमी आ रही है।
* इस लिहाज से उत्पादन क्षमता, अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में उच्च निवेश किये जाने की आवश्यकता है ताकि बाजरे के पोषण एवं पारिस्थितिक लाभ से उपभोक्ताओं, उत्पादकों और निर्णय निर्माताओं को लाभान्वित किया जा सके।
* इस प्रस्ताव के परिणामस्वरूप बाजरे की खेती के लिये अनुसंधान एवं विकास में भी बढ़ोतरी हो सकेगी।
* ‘अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ का आयोजन करने से बाजरे के उत्पादन को लेकर और अधिक जागरूकता बढ़ाई जा सकेगी।
* यह खाद्य सुरक्षा, पोषण, आजीविका सुनिश्चित करने और किसानों की आय में बढ़ोतरी करने, गरीबी उन्मूलन और सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में भी योगदान देगा, विशेषकर उन क्षेत्रों में जो जलवायु परिवर्तन से काफी प्रभावित हैं।
* संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से भारत द्वारा प्रायोजित और 70 से अधिक देशों द्वारा समर्थित प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपना लिया है, जिसमें 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ के रूप में घोषित करने की बात कही गई है।
* इस प्रस्ताव का प्राथमिक उद्देश्य बदलती जलवायु परिस्थितियों में बाजरे के स्वास्थ्य लाभ एवं खेती के लिये उसकी उपयुक्तता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
* ज्ञात हो कि बाजरे की खेती ऐतिहासिक रूप से व्यापक स्तर पर कई देशों में की जाती रही है, किंतु बीते कुछ समय से कई देशों में इसके उत्पादन में कमी आ रही है।
* इस लिहाज से उत्पादन क्षमता, अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में उच्च निवेश किये जाने की आवश्यकता है ताकि बाजरे के पोषण एवं पारिस्थितिक लाभ से उपभोक्ताओं, उत्पादकों और निर्णय निर्माताओं को लाभान्वित किया जा सके।
* इस प्रस्ताव के परिणामस्वरूप बाजरे की खेती के लिये अनुसंधान एवं विकास में भी बढ़ोतरी हो सकेगी।
* ‘अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ का आयोजन करने से बाजरे के उत्पादन को लेकर और अधिक जागरूकता बढ़ाई जा सकेगी।
* यह खाद्य सुरक्षा, पोषण, आजीविका सुनिश्चित करने और किसानों की आय में बढ़ोतरी करने, गरीबी उन्मूलन और सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में भी योगदान देगा, विशेषकर उन क्षेत्रों में जो जलवायु परिवर्तन से काफी प्रभावित हैं।