राष्ट्रीय समसामयिकी 1(6-July-2023)
राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण की योजना
(Scheme for Expansion and Modernization of Fire Services in the States)

Posted on July 6th, 2023 | Create PDF File

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हाल ही में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने राज्यों में अग्निशमन सेवाओं को मज़बूत करने के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) के अंतर्गत "राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण की योजना” (Scheme for Expansion and Modernization of Fire Services in the States- SEMFSS) शुरू की है।

 

राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण की योजना : 

 

इस योजना की उत्पत्ति पंद्रहवें वित्त आयोग (XV-FC) की सिफारिश से हुई है, जो तैयारियों और क्षमता निर्माण की फंडिंग सुविधा के लिये NDRF और राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) में से प्रत्येक के 12.5% हिस्से  के आवंटन की अनुमति देता है।

 

उद्देश्य : 

 

योजना का उद्देश्य राज्यों में अग्निशमन सेवाओं का विस्तार और आधुनिकीकरण करना है ताकि NDRF की तैयारियों तथा क्षमता-निर्माण घटकों के माध्यम से राज्य स्तर पर अग्निशमन सेवाओं को मज़बूत करने की गतिविधियाँ सुनिश्चित की जा सकें।

 

कोष आवंटन : 

 

NDRF के कुल कोष में से 5,000 करोड़ रुपए की राशि प्राथमिकता के तौर पर  "अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण" के लिये निर्धारित की गई थी। 

 

कुल परिव्यय में से 500 करोड़ रुपए की राशि राज्यों को उनके कानूनी और बुनियादी ढाँचे-आधारित सुधारों के आधार पर प्रोत्साहित करने के लिये रखी गई है।

 

फंडिंग पैटर्न : 

 

योजना के अंर्तगत परियोजनाओं या प्रस्तावों को उनके बजटीय संसाधन आधार पर धन की मांग करने के लिये संबंधित राज्य सरकारों को ऐसी परियोजनाओं या प्रस्तावों की कुल लागत का 25% [उत्तर-पूर्वी और हिमालयी (NEH) राज्यों को छोड़कर, जो 10% का योगदान देते है] योगदान करना होगा। 

 

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) :

 

वर्ष 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम के अधिनियमन के साथ राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता निधि (NCCF) का नाम बदलकर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष/निधि (NDRF) कर दिया गया।

 

इसे आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (DM अधिनियम) की धारा 46 में परिभाषित किया गया है।

 

इसे भारत सरकार के "सार्वजनिक खाते" में "ब्याज रहित आरक्षित निधि" के अंतर्गत रखा जाता है।

 

लोक लेखा: इसका गठन संविधान के अनुच्छेद 266(2) के अंर्तगत किया गया था। यह उन लेन-देन के प्रवाह का लेखा-जोखा रखता है जहाँ सरकार केवल एक बैंकर के रूप में कार्य कर रही है। उदाहरणस्वरूप भविष्य निधि, लघु बचत आदि।

 

भूमिका : 

 

किसी भी गंभीर आपदा की स्थिति या आपदा के कारण आपातकालीन प्रतिक्रिया, राहत और पुनर्वास के खर्चों को पूरा करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा प्रबंधन किया जाता है।

 

यह प्रकृति की गंभीर आपदा स्थिति में SDRF को पूरक बनाता है, बशर्ते SDRF में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध न हो।

 

SDRF अधिसूचित आपदाओं की प्रतिक्रिया हेतु राज्य सरकारों के पास उपलब्ध प्राथमिक निधि है ताकि तत्काल राहत प्रदान करने के लिये किसी भी प्रकार के व्यय को पूरा किया जा सके।

 

वित्तपोषण :  

 

कुछ वस्तुओं पर उपकर, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क लगाकर वित्तपोषित किया जाता है तथा वित्त विधेयक के माध्यम से वार्षिक मंज़ूरी दी जाती है।