राज्य समसामयिकी 1(5-July-2023)
ओडिशा सरकार द्वारा मो जंगल जामी योजना का आरंभ
(Mo Jangal Jami scheme launched by Odisha government)

Posted on July 6th, 2023 | Create PDF File

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ओडिशा सरकार ने मो जंगल जामी योजना शुरू की है जिसका उद्देश्य राज्य के ज़िलों में आदिवासियों और वनवासियों के बीच वन अधिकारों को बढ़ावा देना है।

 

यदि इस योजना को लागू किया जाता है तो ओडिशा केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित व्यक्तिगत अधिकारों के अतिरिक्त सामुदायिक वन अधिकारों को मान्यता देने वाला भारत का पहला राज्य बन जाएगा।

 

इस योजना का उद्देश्य लाभार्थियों को उनके अधिकारों के अनुसार भूमि का स्वामित्व तथा वन संसाधनों तक पहुँच प्रदान कर अनुसूचित जनजाति और वन क्षेत्र में रहने वाली आबादी के लिये आजीविका एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

 

ओडिशा में बड़ी संख्या में ऐसे गाँव और अनुसूचित जनजाति परिवार हैं जिन्हें इस योजना से लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है।

 

62 विभिन्न जनजातियों के साथ राज्य की जनजातीय आबादी कुल आबादी का 22.85% है जिसमें 13 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) शामिल हैं।

 

सामुदायिक वन संसाधन :

 

सामुदायिक वन संसाधन (CFR) क्षेत्र सामान्य वन भूमि है जिसे किसी विशेष समुदाय द्वारा स्थायी उपयोग के लिये पारंपरिक रूप से आरक्षित और संरक्षित किया गया है।

 

समुदाय द्वारा इसका उपयोग गाँव की पारंपरिक और प्रथागत सीमा के भीतर उपलब्ध संसाधनों तक पहुँच एवं ग्रामीण समुदायों के मामले में परिदृश्य के मौसमी उपयोग के लिये किया जाता है।

 

प्रत्येक CRF क्षेत्र में समुदाय और उसके पड़ोसी गांँवों द्वारा मान्यता प्राप्त पहचान योग्य स्थलों की एक प्रथागत सीमा होती है।

 

इसमें किसी भी श्रेणी के वन - राजस्व वन, वर्गीकृत और अवर्गीकृत वन, डीम्ड वन, ज़िला समिति भूमि (DLC), आरक्षित वन, संरक्षित वन, अभयारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान आदि शामिल हो सकते हैं।

 

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTGs) :

 

आदिम जनजातीय समूहों (PTGs) का निर्माण :

 

वर्ष 1973 में ढेबर आयोग (Dhebar Commission ) ने आदिम जनजातीय समूहों (Primitive Tribal Groups- PTGs) को एक अलग श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया , जो कि जनजातीय समूहों के मध्य कम विकसित होते हैं। 

 

वर्ष 2006 में भारत सरकार द्वारा  PTGs  का नाम परिवर्तित कर PVTGs कर दिया गया।

 

वर्ष 1975 में भारत सरकार द्वारा PVTGs नामक एक अलग श्रेणी के रूप में सबसे कमज़ोर आदिवासी समूहों की पहचान की गई जिसमें  ऐसे 52 समूहों को शामिल किया गया। वर्ष 1993 में इस श्रेणी में 23 और ऐसे अतिरिक्त समूहों को शामिल किया गया जिसमें 705 जनजातियों में से 75 को  विशेष रूप से सुभेद्य  जनजातीय समूह (PVTG’s) में शामिल किया गया।

 

75 सूचीबद्ध PVTG’s में से सबसे अधिक संख्या ओडिशा में पाई जाती है।

 

PVTGs की विशेषताएं :

 

सरकार PVTGs को निम्नलिखित आधार पर वर्गीकृत करती है :

 

अलगाव की स्थिति

 

स्थिर या घटती जनसंख्या

 

साक्षरता का निम्न स्तर

 

लिखित भाषा का अभाव

 

अर्थव्यवस्था का पूर्व-कृषि आदिम चरण जैसे- शिकार, भोजन एकत्र करना, और स्थानांतरित खेती।