अर्थव्यवस्था समसामयिकी 1(6-July-2023)
लघु वित्त बैंक
(Small Finance Bank)

Posted on July 6th, 2023 | Create PDF File

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हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सैद्धांतिक मंज़ूरी देने के लिये उपयुक्त नहीं पाए जाने के कारण लघु वित्त बैंकों की स्थापना के लिये तीन आवेदनों को अस्वीकार करने के निर्णय की घोषणा की है।

 

यूनिवर्सल बैंकों और लघु वित्त बैंकों के 'ऑन-टैप' लाइसेंसिंग’ के दिशा-निर्देशों के तहत RBI को लगभग एक दर्जन आवेदन प्राप्त हुए थे।

 

लघु वित्त बैंक/स्मॉल फाइनेंस बैंक :  

  

भारत में SFB छोटे व्यवसायियों, सूक्ष्म और लघु उद्योगों, किसानों तथा असंगठित क्षेत्र सहित आबादी के वंचित वर्गों को बुनियादी बैंकिंग सेवाएँ एवं ऋण सुविधाएँ प्रदान करने के लिये स्थापित बैंकों की एक श्रेणी है।

 

ये भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित होते हैं। 

 

उदाहरण : कैपिटल स्मॉल फाइनेंस बैंक, उज्जीवन, उत्कर्ष आदि।  

 

CRR और SLR के रखरखाव की आवश्यकता सहित मौजूदा वाणिज्यिक बैंकों पर लागू रिज़र्व बैंक के सभी विवेकपूर्ण मानदंड और विनियम SFB पर भी लागू होते हैं।

 

इसके अलावा RBI के अनुसार, यदि कोई SFB एक यूनिवर्सल बैंक में स्थानांतरित होने की इच्छा रखता है, तो उसके पास न्यूनतम 5 वर्षों की अवधि के लिये प्रदर्शन का संतोषजनक ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिये।

 

ऑन-टैप लाइसेंसिंग : इसका अर्थ है कि RBI से बैंक लाइसेंस प्राप्त करने के लिये विंडो पूरे वर्ष खुली रहती है या RBI किसी भी समय आवेदन स्वीकार कर बैंकों को लाइसेंस जारी कर सकता है।

 

CRR और SLR : CRR का मतलब नकद आरक्षित अनुपात है तथा SLR का मतलब वैधानिक तरलता अनुपात है।  

 

CRR और SLR दोनों मौद्रिक नीति उपकरण हैं जिनका उपयोग केंद्रीय बैंकों द्वारा अर्थव्यवस्था में ऋण की उपलब्धता को विनियमित एवं नियंत्रित करने के लिये किया जाता है।

 

CRR के तहत वाणिज्यिक बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास एक निश्चित न्यूनतम जमा राशि (NDTL) आरक्षित रखनी होती है।

 

SLR, जमा का न्यूनतम प्रतिशत है, जिसे एक वाणिज्यिक बैंक को नकदी, सोना या अन्य प्रतिभूतियों के रूप में बनाए रखना होता है। 

 

पात्रता : 

 

निवासी व्यक्ति/पेशेवर (भारतीय नागरिक), अकेले या संयुक्त रूप से प्रत्येक के पास वरिष्ठ स्तर पर बैंकिंग और वित्त के क्षेत्र में कम-से-कम 10 वर्ष का अनुभव हो।

 

निवासियों के स्वामित्व तथा नियंत्रण वाली कंपनियाँ और सोसायटी।

 

सूक्ष्म वित्त संस्थाएँ (Microfinance Institution), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFC), स्थानीय क्षेत्र के बैंक और भुगतान बैंक जैसी संस्थाएँ जो निवासियों द्वारा नियंत्रित होती हैं, वे भी लघु वित्त बैंकों में परिवर्तित हो सकती हैं।

 

इसके अतिरिक्त SFB में परिवर्तित होने के इच्छुक शहरी सहकारी बैंक (UCBs) दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के पश्चात् SFB में परिवर्तित हो सकते हैं।

 

प्रदत्त पूंजी की आवश्यकता :  

 

लघु वित्त बैंकों के लिये न्यूनतम भुगतान वाली वोटिंग इक्विटी पूंजी 200 करोड़ रुपए होगी, ऐसे लघु वित्त बैंकों को छोड़कर जो UCBs से परिवर्तित हुए हैं।

 

शासनादेश :  

 

प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधारी :

 

RBI के दिशा-निर्देशों के अनुसार, लघु वित्त बैंकों को अपने कुल शुद्ध ऋण का 75% प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधारी के लिये आवंटित करना होता है।

 

उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके ऋण पोर्टफोलियो का 50% भाग 25 लाख रुपए तक का अग्रिम हो।

 

एकल या समूहिक देनदार के लिये अधिकतम ऋण आकार और निवेश सीमा उसके पूंजीगत कोष के क्रमशः 10% और 15% तक सीमित होगी।

 

शाखा नेटवर्क :

 

SFBs को ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों पर विशेष बल देने के साथ बैंक रहित और कम बैंकिंग सुविधा वाले क्षेत्रों में शाखाओं का एक नेटवर्क स्थापित करने की आवश्यकता है।

 

प्रारंभ में उन्हें अपनी कम-से-कम 25% शाखाएँ बैंक रहित ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित करनी होंगी।

 

विनियमन :  

 

लघु वित्त बैंक, कंपनी अधिनियम, 2013 के अंर्तगत सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत हैं और साथ ही बैंकिंग विनियमन, 1949 की धारा 22 के अंर्तगत लाइसेंस प्राप्त हैं।

 

ये मुख्य रूप से बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 और RBI अधिनियम, 1934 एवं अन्य प्रासंगिक कानूनों द्वारा शासित होते हैं।  

 

लघु वित्त बैंक :

 

लघु वित्त बैंक वे वित्तीय संस्थान हैं जो देश के उन क्षेत्रों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करते हैं जहाँ बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं।

 

लघु वित्त बैंक, कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत हैं।

 

इन्हें बैंक रहित ग्रामीण केंद्रों में अपने कम-से-कम 25% बैंकिंग आउटलेट खोलने की आवश्यकता होती है।

 

SFB को अपने समायोजित निवल बैंक ऋण (Adjusted Net Bank Credit) का 75% प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार (Priority Sector Lending- PSL) में देना आवश्यक है।

 

RBI ने बैंकों को अपने फंड का एक निश्चित हिस्सा कृषि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs), निर्यात ऋण, शिक्षा, आवास, सामाजिक बुनियादी ढाँचे, नवीकरणीय ऊर्जा जैसे अन्य क्षेत्रों को ऋण देने के लिये अनिवार्य किया है।