भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं (भाग -7) - भाषाई विविधता (Salient features of Indian Society Part-7-Linguistic Diversity)
Posted on March 19th, 2020
भारत में अनेक भाषाएं एवं बोलियां बोली जाती हैं। भारत के विभिन्न प्रान्तों में अनेक भाषाएं अस्तित्व में हैं जो भिन्न-भिन्न प्रान्तों को परस्पर अलग भी कर देती हैं। साइमन कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार, यहाँ व्यवहार में लाई जाने वाली भाषाओं की संख्या लगभग 222 है। संविधान की आठवीं अनुसूची के अनुसार देश में 22 भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई है। इनमें असमिया, बांग्ला, गुजराजी, हिन्दी, कन्नड़, कश्मीरी,मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु, उर्दू सिंधी, नेपाली, मणिपुरी, कोंकणी, बोडो, मैथिली, डोगरी और संथाली शामिल हैं। यहाँ की भाषाओं को विभिन्न लिपियों में लिखा जाता है जो भारत की विविधता का द्योतक है। लिपि से आशय शब्द या वर्ण लिखने के तरीके से है। भारत की कुछ प्रचलित लिपियों में देवनागरी, रोमन, गुरुमुखी, तेलुगु, मलयालम आदि हैं।
विश्व के भाषा परिवारों में से एक हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार (Indo-European Family) का एक उपविभाजन हिन्द आर्य (Indo-Aryan Indic) कहलाता है और उसमें भारत के उत्तरी हिस्से में बोली जाने वाली हिन्दी, पंजाबी, मराठी आदि भाषाएं रखी गई हैं। भारत की दो-तिहाई से अधिक आबादी हिन्द आर्य भाषा परिवार की कोई न कोई भाषा विभिन्न स्तरों पर प्रयोग करती है, जिसमें संस्कृत समेत मुख्यतः उत्तर भारत में बोली जाने वाली अन्य भाषाएं जैसे हिन्दी, उर्दू नेपाली, बांग्ला, गुजराती, कश्मीरी, डोगरी, पंजाबी, उड़िया, असमिया, मैथिली, भोजपुरी, मारवाड़ी, गढ़वाली, कोंकणी इत्यादि शामिल हैं।
द्रविड़ भाषा परिवार भारत का दूसरा सबसे बड़ा भाषाई परिवार है। इस परिवार का सबसे बड़ा सदस्य तमिलनाडु में बोली जाने वाली तमिल भाषा है। इसी तरह कर्नाटक में कन्नड़ एवं दक्षिण कर्नाटक में तुलु केरल में मलयालम और आन्ध्र प्रदेश में तेलुगु इस परिवार की बड़ी भाषाएं हैं। इसके अलावा इस वर्ग में कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रयुक्त होने वाली ब्राहुई भाषाओं को रखा गया है।
ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार में संथाली आदि भाषाओं को रखा गया है। यह प्राचीन भाषा परिवार मुख्य रूप से झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं पश्चिम बंगाल के ज़्यादातर हिस्सों में बोली जाती है।
चीनी-तिब्बती भाषा परिवार की ज़्यादातर भाषाएं पूर्वोत्तर राज्यों में बोली जाती हैं। इस परिवार पर चीनी और आर्य परिवार की भाषाओं का मिश्रित प्रभाव पाया जाता है और सबसे छोटा भाषाई परिवार होने के बावजूद इस परिवार के सदस्य भाषाओं की संख्या सबसे अधिक है। इस परिवार की मुख्य भाषाओं में नगा, मिज़ो, म्हार, मणिपुरी, तांगखुल, खासी, दफला तथा आओ दत्यादि भाषाएं शामिल हैं। इन्हें “नाग परिवार" की भाषाएं भी कहा गया है।
अंडमानी भाषा परिवार जनसंख्या की दृष्टि से भारत का सबसे छोटा भाषाई परिवार है। इसके अंतर्गत अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की भाषाएं आती हैं, जिनमें प्रमुख हैं--अंडमानी, ग्रेड अंडमानी, ओंग, जारवा आदि।अंडमानी भाषा परिवार नवीनतम विभाजन है। इसके दो उपविमाजन किए गए हैं-ग्रेट अंडमानी (Great Andamanese) और ओंग (Ongan) भाषा समूह। इसमें ग्रेट अंडमानी को अका-जेरू (Aka-Jeru) समुदाय के लोग प्रयुक्त करते हैं। इसके अलावा इस भाषा वर्ग में सेंटलीस (Sentinelese) को भी रखा गया है। ये तीनों भाषाएं आपस में निकटतापूर्वक सम्बन्ध रखती हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि भारत में भाषाई विविधता भी बृहद स्तर पर है।
भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं (भाग -7) - भाषाई विविधता (Salient features of Indian Society Part-7-Linguistic Diversity)
भारत में अनेक भाषाएं एवं बोलियां बोली जाती हैं। भारत के विभिन्न प्रान्तों में अनेक भाषाएं अस्तित्व में हैं जो भिन्न-भिन्न प्रान्तों को परस्पर अलग भी कर देती हैं। साइमन कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार, यहाँ व्यवहार में लाई जाने वाली भाषाओं की संख्या लगभग 222 है। संविधान की आठवीं अनुसूची के अनुसार देश में 22 भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई है। इनमें असमिया, बांग्ला, गुजराजी, हिन्दी, कन्नड़, कश्मीरी,मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु, उर्दू सिंधी, नेपाली, मणिपुरी, कोंकणी, बोडो, मैथिली, डोगरी और संथाली शामिल हैं। यहाँ की भाषाओं को विभिन्न लिपियों में लिखा जाता है जो भारत की विविधता का द्योतक है। लिपि से आशय शब्द या वर्ण लिखने के तरीके से है। भारत की कुछ प्रचलित लिपियों में देवनागरी, रोमन, गुरुमुखी, तेलुगु, मलयालम आदि हैं।
विश्व के भाषा परिवारों में से एक हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार (Indo-European Family) का एक उपविभाजन हिन्द आर्य (Indo-Aryan Indic) कहलाता है और उसमें भारत के उत्तरी हिस्से में बोली जाने वाली हिन्दी, पंजाबी, मराठी आदि भाषाएं रखी गई हैं। भारत की दो-तिहाई से अधिक आबादी हिन्द आर्य भाषा परिवार की कोई न कोई भाषा विभिन्न स्तरों पर प्रयोग करती है, जिसमें संस्कृत समेत मुख्यतः उत्तर भारत में बोली जाने वाली अन्य भाषाएं जैसे हिन्दी, उर्दू नेपाली, बांग्ला, गुजराती, कश्मीरी, डोगरी, पंजाबी, उड़िया, असमिया, मैथिली, भोजपुरी, मारवाड़ी, गढ़वाली, कोंकणी इत्यादि शामिल हैं।
द्रविड़ भाषा परिवार भारत का दूसरा सबसे बड़ा भाषाई परिवार है। इस परिवार का सबसे बड़ा सदस्य तमिलनाडु में बोली जाने वाली तमिल भाषा है। इसी तरह कर्नाटक में कन्नड़ एवं दक्षिण कर्नाटक में तुलु केरल में मलयालम और आन्ध्र प्रदेश में तेलुगु इस परिवार की बड़ी भाषाएं हैं। इसके अलावा इस वर्ग में कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रयुक्त होने वाली ब्राहुई भाषाओं को रखा गया है।
ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार में संथाली आदि भाषाओं को रखा गया है। यह प्राचीन भाषा परिवार मुख्य रूप से झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं पश्चिम बंगाल के ज़्यादातर हिस्सों में बोली जाती है।
चीनी-तिब्बती भाषा परिवार की ज़्यादातर भाषाएं पूर्वोत्तर राज्यों में बोली जाती हैं। इस परिवार पर चीनी और आर्य परिवार की भाषाओं का मिश्रित प्रभाव पाया जाता है और सबसे छोटा भाषाई परिवार होने के बावजूद इस परिवार के सदस्य भाषाओं की संख्या सबसे अधिक है। इस परिवार की मुख्य भाषाओं में नगा, मिज़ो, म्हार, मणिपुरी, तांगखुल, खासी, दफला तथा आओ दत्यादि भाषाएं शामिल हैं। इन्हें “नाग परिवार" की भाषाएं भी कहा गया है।
अंडमानी भाषा परिवार जनसंख्या की दृष्टि से भारत का सबसे छोटा भाषाई परिवार है। इसके अंतर्गत अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की भाषाएं आती हैं, जिनमें प्रमुख हैं--अंडमानी, ग्रेड अंडमानी, ओंग, जारवा आदि।अंडमानी भाषा परिवार नवीनतम विभाजन है। इसके दो उपविमाजन किए गए हैं-ग्रेट अंडमानी (Great Andamanese) और ओंग (Ongan) भाषा समूह। इसमें ग्रेट अंडमानी को अका-जेरू (Aka-Jeru) समुदाय के लोग प्रयुक्त करते हैं। इसके अलावा इस भाषा वर्ग में सेंटलीस (Sentinelese) को भी रखा गया है। ये तीनों भाषाएं आपस में निकटतापूर्वक सम्बन्ध रखती हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि भारत में भाषाई विविधता भी बृहद स्तर पर है।