कला एवं संस्कृति समसामियिकी 1 (9-Sept-2020)
रोगन आर्ट (Rogan Art)

Posted on September 9th, 2020 | Create PDF File

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रोगन आर्ट कलाकारों ने अपनी आजीविका चलाने के लिये COVID-19 से बचाव के लिये उपयोग किये जाने वाले मास्क पर रोगन आर्ट (Rogan Art) को चित्रित करना शुरू किया।रोगन आर्ट एक प्राचीन कपड़ा कला है जिसकी उत्पत्ति फारस में हुई थी जो लगभग 300 वर्ष पहले भारत में गुजरात के कच्छ में प्रचलित हुई। ‘रोगन’ फारसी मूल का एक शब्द है जिसका अर्थ ‘तेल’ होता है।

 

‘रोगन आर्ट’ कपड़े पर पेंटिंग करने की तकनीक है जिसमें अरंडी के तेल और प्राकृतिक रंगों से बने एक समृद्ध, चमकीले रंग का उपयोग किया जाता है।अरंडी गुजरात के कच्छ में उगाई जाने वाली एक स्थानीय फसल है जिसे कलाकार मूल रूप से स्थानीय किसानों से प्राप्त करते थे।परंपरागत रूप से इसका उपयोग क्षेत्रीय जनजातियों में दुल्हन के कपड़ों को सुशोभित करने के लिये किया जाता था।इस कला का प्रयोग घाघरा, ओढ़नी एवं बेडशीट के किनारों को सजाने के लिये किया जाता है।वर्तमान में इस कला का प्रयोग दीवार पर भी होने लगा है जिसके कारण इस कला को 'रोगन काम' (Rogan Kaam) के नाम से भी काफी लोकप्रियता मिली है।