राजव्यवस्था समसामियिकी 1 (9-Sept-2020)
राज्यसभा का उप सभापति
(Deputy Speaker of the Rajya Sabha)

Posted on September 9th, 2020 | Create PDF File

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कांग्रेस की रणनीति समूह की बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि राज्यसभा के उप- सभापति के चुनाव के लिए विपक्ष की तरफ से साझा उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा।

राज्यसभा में उप-सभापति का पद, हरिवंश नारायण सिंह का संसद सदस्य के रूप में कार्यकाल के समाप्त होने के बाद खाली हो गया है। वह उच्च सदन में बिहार से सदस्य के रूप में चुने गए थे।

 

राज्यसभा के उप सभापति का संविधान के अनुच्छेद 89 के अंतर्गत उल्लेख किया गया है, तथा यह एक संवैधानिक पद है। इसके अनुसार- राज्यसभा द्वारा, पद रिक्त होने की स्थिति में, अपने किसी एक सांसद को उपसभापति के रूप में चुना जायेगा।उपसभापति का चुनाव राज्य सभा द्वारा उच्च सदन के सदस्यों में से किया जाता है।उपसभापति का पद रिक्त होने पर, राज्यसभा रिक्त स्थान को भरने के लिए किसी अन्य सदस्य का चुनाव करती है।

 

उप सभापति निम्नलिखित तीन मामलों में अपना पद त्याग करता है:

* राज्य सभा के सदस्य के रूप के कार्यकाल की समाप्ति होने पर;

* सभापति के लिए लिखित में त्यागपत्र देने पर;

* राज्य सभा सदस्यों के बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा हटाये जाने पर उप सभापति का पद रिक्त होता है। इस तरह के प्रस्ताव के लिए 14 दिनों की अग्रिम सूचना देना अनिवार्य होता है।

 

 

उपसभापति सदन में सभापति का पद रिक्त होने पर सभापति के रूप में कार्य करता है।सभापति की अनुपस्थिति में भी वह बतौर सभापति कार्य करता है। दोनों ही स्थितियों में उसके पास सभापति की सारी शक्तियां होती हैं।उपसभापति, सभापति के अधीनस्थ नहीं होता है, वह राज्यसभा के प्रति सीधे उत्तरदायी होता है।जब सभापति, राज्यसभा की अध्यक्षता करता है तो उपसभापति, एक साधारण सदस्य की तरह होता है।सभापति की भांति, उपसभापति भी नियमित वेतन व भत्तों का अधिकारी होता है, तथा उसके वेतन व भत्तों का निर्धारण संसद द्वारा किया जाता है, जो भारत की संचित निधि पर भारित होता है।