राजव्यवस्था समसामियिकी 1 (27-Nov-2020)
राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति
(Presidential pardon power)

Posted on November 27th, 2020 | Create PDF File

hlhiuj

संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के राष्ट्रपति ने अपने पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को क्षमा करने के लिये संविधान के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया है।संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्तियों के विपरीत भारत के राष्ट्रपति को मंत्रिमंडल की सलाह पर कार्य करना होता है।संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति को संघीय अपराधों से संबंधित अपराधों को क्षमा करने या सजा की प्रकृति को बदलने का संवैधानिक अधिकार है।क्षमादान एक व्यापक कार्यकारी और विवेकाधीन शक्ति है, जिसका अर्थ है कि राष्ट्रपति अपनी क्षमादान शक्ति के लिये जवाबदेह नहीं है, और अपने आदेश के कारण बताने के लिये बाध्य नहीं है। परंतु इसकी कुछ सीमाएँ हैं।

 

संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्यक्षात्मक शासन है।संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि ये शक्तियाँ असीमित हैं और इन्हें कॉन्ग्रेस (विधायिका) द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है।महाभियोग के मामलों को छोड़कर, अमेरिकी राष्ट्रपति के पास अमेरिका के खिलाफ किये गए अपराधों के लिये दंडविराम और क्षमा करने की शक्ति होगी।इसके अलावा, ये शक्तियाँ केवल संघीय अपराधों पर लागू होती है, राज्य के खिलाफ अपराधों पर नहीं।



संविधान के अनुच्छेद-72 के तहत, राष्ट्रपति को उन व्यक्तियों को क्षमा करने की शक्तियाँ प्राप्त हैं जो निम्नलिखित मामलों में किसी अपराध के लिये दोषी करार दिये गए हों।संघीय विधि के विरुद्ध किसी अपराध के संदर्भ में दिये गए दंड में,सैन्य न्यायालय द्वारा दिये गए दंड में और,यदि दंड का स्वरुप मृत्युदंड हो।



राष्ट्रपति क्षमादान की अपनी शक्ति का प्रयोग केंद्रीय मंत्रिमंडल के परामर्श के बिना नहीं कर सकते।सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने कई मामलों में निर्णय दिया है कि राष्ट्रपति को दया याचिका का फैसला करते हुए मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्रवाई करनी है। इनमें वर्ष 1980 में मारूराम बनाम भारत संघ, और वर्ष 1994 में धनंजय चटर्जी बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले शामिल हैं।

 


राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका को मंत्रिमंडल की सलाह लेने के लिये गृह मंत्रालय के समक्ष भिजवाया जाता है,जिसके बाद मंत्रिपरिषद अपनी सलाह देती है।यद्यपि राष्ट्रपति पर मंत्रिमंडल की सलाह बाध्यकारी होती है, अनुच्छेद 74 (1) उन्हें मंत्रिमंडल के पुनर्विचार हेतु इसे वापस करने का अधिकार देता है। यदि मंत्रिमंडल किसी भी बदलाव के बिना इसे राष्ट्रपति को भेजता है तो राष्ट्रपति के पास इसे स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता है।


संविधान के अनुच्छेद 161 के अंतर्गत राज्य के राज्यपाल को भी क्षमादान की शक्तियाँ प्राप्त हैं।



राष्ट्रपति सैन्य न्यायालय द्वारा दी गई सजा को क्षमा कर सकते हैं परंतु राज्यपाल नहीं कर सकते।राष्ट्रपति मृत्युदंड से संबंधित सभी मामलों में क्षमादान दे सकते हैं परंतु राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति मृत्युदंड के मामलों तक विस्तारित नहीं है।

 


क्षमा (Pardon)- इसमें दंड और बंदीकरण दोनों को हटा दिया जाता है तथा दोषी की सजा दंड, दंडादेशों एवं निर्हर्ताओं से पूर्णतः मुक्त कर दिया जाता है।


लघुकरण (Commutation)- इसका अर्थ है कि सज़ा की प्रकृति को बदलना जैसे मृत्युदंड को कठोर कारावास में बदलना।


परिहार (Remission) - सज़ा की अवधि को बदलना जैसे 2 वर्ष के कठोर कारावास को 1 वर्ष के कठोर कारावास में बदलना।

 

विराम (Respite) - विशेष परिस्थितियों की वजह से सज़ा को कम करना। जैसे- शारीरिक अपंगता या महिलाओं की गर्भावस्था के कारण।


प्रविलंबन (Reprieve) - किसी दंड को कुछ समय के लिये टालने की प्रक्रिया। जैसे- फाँसी को कुछ समय के लिये टालना।