राज्य समसामयिकी 2(15-June-2022)
राष्ट्रीय ई-विधान अनुप्रयोग (NeVA) परियोजना
(National e-Vidhan Application (NeVA) Project)

Posted on June 15th, 2022 | Create PDF File

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हाल ही में, गुजरात के विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कागज रहित कार्यवाही हेतु ‘नयी तरह की  ‘ई-विधान प्रणाली’ (e-Vidhan system) के बारे में जानने के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा का दौरा किया।

 

उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा द्वारा इस प्रणाली को कुछ समय पहले ही अपनाया गया था।

 

‘ई-विधान प्रणाली’ :

 

यह केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘डिजिटल इंडिया प्रोग्राम’ के तहत एक ‘मिशन मोड प्रोजेक्ट’ (MMP) है।

 

संसदीय कार्य मंत्रालय (MoPA), सभी 31 राज्यों/ विधानमंडल युक्त ‘संघ राज्य क्षेत्रों’ में इस प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन हेतु ‘नोडल मंत्रालय’ है।

 

‘ई-विधान’ का वित्त पोषण ‘संसदीय कार्य मंत्रालय’ द्वारा एवं तकनीकी सहायता ‘इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय’ (MietY) द्वारा प्रदान की जाती है।

 

‘राष्ट्रीय ई-विधान अनुप्रयोग’ (National e-Vidhan Application – NeVA) का वित्त पोषण ‘केंद्रीय प्रायोजित योजना’ अर्थात मैदानी क्षेत्र के राज्यों हेतु 60:40, पूर्वोत्तर और पर्वतीय राज्यों के लिए 90:10 और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100% के माध्यम से होता है।

 

परियोजना का उद्देश्य : देश की सभी विधानसभाओं को एक साथ एक मंच पर लाना, जिससे कई अनुप्रयोगों की जटिलता के बगैर एक विशाल डेटा डिपॉजिटरी तैयार की जा सके।

 

पेपरलेस असेंबली या ई-असेंबली, विधानसभा के कामकाज को सुविधाजनक बनाने हेतु ‘इलेक्ट्रॉनिक माध्यम’ का अनुप्रयोग किए जाने संबंधी एक अवधारणा है।

 

यह पद्धति, कानून बनाने की संपूर्ण प्रक्रिया, निर्णयों और दस्तावेजों की ट्रैकिंग, सूचनाओं के आदान-प्रदान आदि कार्यों को स्वचालित बनाती है।

 

इस तकनीक में, ‘क्लाउड टेक्नोलॉजी’ (मेघराज) के माध्यम से, परिनियोजित डेटा को किसी भी समय कहीं भी एक्सेस किया जा सकता है।

 

हिमाचल प्रदेश, पहले से ही ‘देश का पहला डिजिटल विधानमंडल’ बन चुका है।

 

ई-विधान के कार्यान्वयन में राज्य सरकार की भूमिका :

 

राज्य सरकार द्वारा राज्य विधानमंडल में ई-विधान कार्यान्वयन हेतु ‘नोडल अधिकारी’/’प्रतिनिधि’ के रूप में एक सचिव स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी।

 

तीन वर्ष बाद, ई-विधान प्रोजेक्ट को ‘मिशन मोड प्रोजेक्ट’ में चलाने के लिए आवश्यक धनराशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जाएगी।

 

राज्य सरकार ‘ई-विधान एमएमपी मॉड्यूल’ के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए क्षमता निर्माण सुनिश्चित करेगी।

 

राज्य सरकार/विधायिका द्वारा तीन वर्ष के बाद आईसीटी उपकरणों के रखरखाव और प्रतिस्थापन किया जाएगा।