कला एवं संस्कृति समसामयिकी 1(15-June-2022)
संत तुकाराम
(Sant Tukaram)

Posted on June 15th, 2022 | Create PDF File

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हाल ही में प्रधानमंत्री ने पुणे ज़िले के मंदिर शहर देहू में संत तुकाराम शिला मंदिर का उद्घाटन किया। 

 

शिला मंदिर एक पत्थर के स्लैब (शिला) को समर्पित मंदिर है जिस पर संत तुकाराम ने 13 दिनों तक ध्यान किया। 

 

शिला एक चट्टान को संदर्भित करती है जो वर्तमान में देहु संस्थान मंदिर परिसर में स्थित है और सदियों से पंढरपुर की वार्षिक तीर्थयात्रा वारी का प्रारंभिक बिंदु रही है। 

 

जिस चट्टान पर उन्होंने 13 दिनों तक बैेठकर ध्यान किया, वह पवित्र और वरकरी संप्रदाय के लिये तीर्थस्थल माना जाता है।

 

संत तुकाराम : 

 

संत तुकाराम एक वरकरी संत और कवि थे। 

 

यह संप्रदाय पूरे महाराष्ट्र में फैला हुआ है और इसके केंद्र में संत तुकाराम एवं उनके कार्य हैं। 

 

वह अभ्यंग भक्ति कविता और कीर्तन के नाम से उल्लेखनीय आध्यात्मिक गीतों के माध्यम से समुदाय-उन्मुख पूजा के लिये प्रसिद्ध थे। 

 

इसके अलावा उन्होंने अभंग कविता नामक साहित्य की एक मराठी शैली की रचना की, जिसमें आध्यात्मिक विषयों के साथ-साथ लोक कहानियों को सम्मिलित किया गया है। 

 

उनका दर्शन :   

 

तुकाराम ने अपने ‘अभ्यंग’ साहित्य में चार और लोगों का उल्लेख किया है, जिनका उनके आध्यात्मिक विकास पर बड़ा प्रभाव था- भक्ति संत नामदेव, ज्ञानेश्वर, कबीर एवं एकनाथ। 

 

तुकाराम की शिक्षाओं को वेदांत आधारित माना जाता था। 

 

सामाजिक सुधार :   

 

जातिविहीन समाज के बारे में उनके संदेश के परिणामस्वरूप और अनुष्ठानों के इनकार ने सामाजिक आंदोलन को जन्म दिया था। 

 

उनके अभ्यंग, समाज के ब्राह्मणवादी प्रभुत्व के खिलाफ मज़बूत हथियार बन गए।