राष्ट्रीय समसामयिकी 2(15-June-2022)
प्रवर्तन निदेशालय
(Enforcement Directorate)

Posted on June 15th, 2022 | Create PDF File

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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, हाल ही में, नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ (Money Laundering) मामले में पूछताछ के लिए दूसरे दिन ‘प्रवर्तन निदेशालय’ (Enforcement Directorate) के सामने पेश हुए।

 

प्रवर्तन निदेशालय:

 

‘प्रवर्तन निदेशालय’ (Enforcement Directorate) एक बहुअनुशासनिक संगठन है जो आर्थिक अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए अधिदेशित है।

 

इस निदेशालय की स्थापना 01 मई, 1956 को हुई थी, जब ‘विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम’, 1947 (FERA, 1947) के अंतर्गत विनिमय नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकने के लिए आर्थिक कार्य विभाग के नियंत्रण में एक प्रवर्तन इकाई का गठन का गया था।

 

वर्ष 1957 में, इस इकाई का नाम बदलकर ‘प्रवर्तन निदेशालय’ (Enforcement Directorate) कर दिया गया।

 

‘प्रवर्तन निदेशालय’, वर्तमान में, वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग का एक भाग है।

 

इस संगठन का कार्य, दो विशेष राजको‍षीय विधियों- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (Foreign Exchange Management Act, 1999 – FEMA) और धनशोधन निवारण अधिनियम,2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002 – PMLA) के प्रावधानों को प्रवर्तित करना है।

 

संरचना :

 

प्रवर्तन निदेशालय में, कार्मिकों की सीधी भर्ती के अलावा, विभिन्न जाँच अभिकरणों अर्थात् सीमा-शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, आय-कर, पुलिस आदि से प्रतिनियुक्ति के आधार पर अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है।

 

अन्य कार्य :

 

भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत भारत से भगोड़े/भगोड़ों के मामलों पर कार्रवाई करना।

 

फेमा (FEMA) के उल्लंघनों के संबंध में ‘विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम’, 1974 (COFEPOSA) के तहत निवारक निरोध के प्रायोजक मामले।

 

विशेष अदालतें :

 

‘धन शोधन निवारण अधिनियम’ (Prevention of Money Laundering Act – PMLA) के तहत की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध की सुनवाई के लिए, केंद्र सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से, एक या अधिक सत्र न्यायालय को ‘विशेष न्यायालय’ (Special Court) के रूप में नामित किया जाता है। इन अदालतों को ” PMLA कोर्ट” भी कहा जाता है।

 

PMLA अदालत द्वारा पारित किसी भी आदेश के खिलाफ कोई भी अपील सीधे उस क्षेत्राधिकार के उच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है।