विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी समसामयिकी 2(14-July-2023)
मिशन चंद्रयान-3
(Mission Chandrayaan-3)

Posted on July 17th, 2023 | Create PDF File

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अ ने हाल ही में अपने इस अभूतपूर्व मिशन की लॉन्च तिथि की घोषणा की थी. यह चंद्रयान-2 का फॉलो-अप मिशन है।

 

स्थानीय समय के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे लांच कर दिया गया।

 

इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड करने का है। 

 

चंद्रयान-3 को GSLV MKIII या LVM3 रॉकेट द्वारा लांच किया गया।

 

यह भारत का तीसरा मून मिशन है और मिशन सफल रहा तो यूएसए, सोवियत संघ और चीन के बाद चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाला भारत चौथा देश बन जायेगा।

 

फेलियर बेस्ड डिज़ाइन :

 

इसरो ने चंद्रयान-3 को सफल बनाने के लिए 'फेलियर बेस्ड डिज़ाइन' पर काम किया है। 

 

इसके तहत उन बातों पर ध्यान दिया गया है जिसमें कुछ चीजें गलत होने पर भी रोवर चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंड कर सके।

 

इसरो प्रमुथ एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-2 'सफलता आधारित डिजाइन' पर आधारित था। 

 

जबकि चंद्रयान-3 को 'फेलियर बेस्ड डिज़ाइन' पर आधारित है। 

 

इस बार उन बातों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है कि किन कारणों से मिशन फेल हो सकता है और इसकी सुरक्षा हम कैसे कर सकते है जिससे सुरक्षति लैंडिंग करायी जा सके।

 

मिशन चंद्रयान-3 के प्रमुख बिंदु :

 

चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है, जिसका उद्देश्य अंतर-ग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और प्रदर्शित करना है।

 

प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर को इंजेक्शन ऑर्बिट से 100 किमी लूनर ऑर्बिट तक ले जाएगा।

 

चंद्रयान-3 में एक लैंडर मॉड्यूल (एलएम), एक प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) और एक रोवर है। 

 

लैंडर और रोवर को विशेष रूप से एकल चंद्र दिवस अवधि के लिए कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर है।

 

चंद्रयान-3 मिशन पर इसरो द्वारा 615 करोड़ का खर्च किये गए। 

 

चंद्रयान-3 मिशन का कुल खर्च चंद्रयान मिशन-2 की तुलना में कम है।

 

चंद्रयान-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा भेजा जा रहा तीसरा अन्वेषण प्रोजेक्ट है। 

 

इसे भारत के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया जायेगा।

 

प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक विक्रम साराभाई को श्रद्धांजलि देते हुए, चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर का नाम "विक्रम" रखा गया है। 

 

चंद्रयान-3 मिशन के साथ जाने वाले रोवर का उपयुक्त नाम "प्रज्ञान" है, जो संस्कृत शब्द "ज्ञान" से लिया गया है।

 

चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह से जुड़ी जानकारी एकत्र करना है जिनमें वैज्ञानिक प्रयोग करना और चंद्रमा के भूविज्ञान और उसके विकास के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने के लिए जरुरी डेटा इकट्ठा करना है। 

 

यह मिशन चंद्रमा के इतिहास, विकास और संरचना के बारें में हमारी जानकारी को और बढ़ाएगा।

 

अभी तक, केवल तीन देशों ने सफलतापूर्वक लूनर लैंडिंग करायी है। 

 

जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन शामिल है। 

 

भारत इस लिस्ट में चौथा देश होगा।

 

मिशन चंद्रयान-3 :

 

चंद्रयान-3 भारत का तीसरा चंद्र मिशन है, साथ ही यह जुलाई 2019 के चंद्रयान-2 का अनुवर्ती है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक रोवर उतारना था।

 

इसे वर्ष 2023 में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से LVM 3 द्वारा लॉन्च किया जाना निर्धारित है।

 

विक्रम लैंडर की विफलता के बाद वर्ष 2024 के लिये जापान के साथ साझेदारी में प्रस्तावित चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन के लिये आवश्यक लैंडिंग क्षमताओं को प्रदर्शित करने हेतु यह मिशन प्रारंभ किया जाएगा।

 

मिशन में तीन प्रमुख मॉड्यूल होंगे- प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और रोवर।

 

प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर कॉन्फिगरेशन को 100 किमी. तक चंद्र कक्षा में ले जाएगा।

 

लैंडर में एक निर्दिष्ट चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता होगी जो अपनी गतिशीलता के दौरान चंद्र सतह का इन-सीटू रासायनिक विश्लेषण करेगा।