राजव्यवस्था समसामयिकी 1 (29-Apr-2021)
नेताओं द्वारा संसदीय समितियों की बैठक बुलाए जाने की मांग
(Leaders demand to call a meeting of parliamentary committees)

Posted on April 29th, 2021 | Create PDF File

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संसद सदस्यों द्वारा राज्यसभा सभापति एम. वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से संसदीय समितियों की आभासी बैठकों को जारी करने की अनुमति देने के लिए अपील की गई है।

 

देश में जारी कोविड-19 महामारी की उग्र रूप से संक्रामक दूसरी लहर के दौरान, एक महीने से अधिक समय से संसद की स्थायी समितियों की बैठक नहीं हुई है।

 

‘संसदीय समितियाँ’ :

लोकसभा वेबसाइट के अनुसार, संसदीय समिति (Parliamentary Committee) से तात्‍पर्य उस समिति से है, जो सभा द्वारा नियुक्‍त या निर्वाचित की जाती है अथवा अध्‍यक्ष द्वारा नाम-निर्देशित की जाती है तथा अध्‍यक्ष के निदेशानुसार कार्य करती है एवं अपना प्रतिवेदन सभा को या अध्‍यक्ष को प्रस्‍तुत करती है।

 

संसदीय समितियाँ दो प्रकार की होती हैं– स्थायी समितियाँ और तदर्थ समितियाँ या प्रवर समितियाँ।

 

स्थायी समितियाँ (Standing Committees), अनवरत प्रकृति की होती हैं अर्थात् इनका कार्य प्रायः निरंतर चलता रहता है। इस प्रकार की समितियों को वार्षिक आधार पर पुनर्गठित किया जाता है।

 

तदर्थ समितियां (ad hoc Committees), किसी विशिष्‍ट प्रयोजन के लिए नियुक्‍त की जाती हैं और जब वे अपना काम समाप्‍त कर लेती हैं तथा अपना प्रतिवेदन प्रस्‍तुत कर देती हैं, तब उनका अस्‍तित्‍व समाप्‍त हो जाता है।

 

संवैधानिक प्रावधान:

 

संसदीय समितियां, अनुच्छेद 105 (संसद सदस्यों के विशेषाधिकार) और अनुच्छेद 118 (संसदीय प्रक्रिया तथा कार्यवाही के संचालन के लिए नियम बनाने हेतु संसद की शक्ति) से अपनी शक्तियां प्राप्त करती हैं।

 

विभागों से संबद्ध स्‍थायी समितियों (DRSCs) की संरचना:

विभागों से संबद्ध स्‍थायी समितियों की संख्‍या 24 है जिनके क्षेत्राधिकार में भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग आते हैं।

 

13 वीं लोकसभा तक प्रत्येक DRSC में 45 सदस्य होते थे – जिनमे से 30 सदस्यों को लोकसभा से तथा 15 सदस्यों को राज्यसभा से नाम-निर्दिष्‍ट किया जाता था।

 

जुलाई 2004 में विभागों से संबद्ध स्‍थायी समितियों के पुनर्गठन के पश्चात, इनमें से प्रत्‍येक समिति में 31 सदस्‍य होते हैं – 21 लोक सभा से तथा 10 राज्‍य सभा से। इन्हें क्रमश: लोक सभा के अध्‍यक्ष तथा राज्‍य सभा के सभापति द्वारा नाम-निर्दिष्‍ट किया जाता है।

 

इन समितियों को एक वर्ष की अधिकतम अवधि के लिए गठित किया जाता है और समितियों के पुनर्गठन में प्रतिवर्ष सभी दलों के सदस्यों को सम्मिलित किया जाता है।

 

वित्तीय समितियों की संरचना:

 

प्राक्कलन समिति में सदस्यों की संख्या 30 होती है तथा सभी सदस्य लोकसभा से नामित किये जाते हैं।

 

लोक लेखा समिति और सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति, दोनों में 22 सदस्य होते हैं – जिनमे से 15 सदस्य लोकसभा से तथा 7 सदस्य राज्यसभा से नामित किये जाते हैं।