राष्ट्रीय समसामयिकी 3 (28-Apr-2021)
‘पायरासोल’ परियोजना
('Pyrasol' project)

Posted on April 28th, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में, चेन्नई में, एकीकृत सौर ड्रायर और पायरोलिसिस पायलट (Integrated Solar Dryer and Pyrolysis pilot) प्लांट की आधारशिला रखी गई।

 

यह पायलट इंडो-जर्मन परियोजना ‘पायरासोल’ का हिस्सा है, जिसका शुभारंभ स्मार्ट शहरों के शहरी जैविक कचरे को बायोचार और ऊर्जा में बदलने के लिए किया गया है।

 

यह ‘पायरासोल’ प्रोजेक्ट, इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर द्वारा सीएसआईआर-सीएलआरआई को प्रदान किया गया था।

 

यह परियोजना अंततः भारतीय स्मार्ट शहरों के ‘फैब्रीस ऑर्गेनिक वेस्ट’ (FOW) और ‘सीवेज स्लज’ (SS) के संयुक्त प्रसंस्करण के लिए प्रौद्योगिकी विकास के साथ-साथ ऊर्जा रिकवरी, कार्बन अनुक्रमीकरण और पर्यावरण सुधार से संबंधित अत्यधिक उपयोगी बायोचार और स्वच्छतापूर्ण व्यवस्था को बढ़ावा देगी।

 

‘पायरासोल’ प्रोजेक्ट :

यह परियोजना भारतीय स्मार्ट शहरों के साथ-साथ अन्य शहरी केंद्रों में एकीकृत और संवादात्मक दृष्टिकोण के साथ शहरी कचरे के संग्रह, उपचार और निपटान प्रणालियों के प्रबंधन और आयोजन पर केन्द्रित है।

 

इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर (IGSTC) :

इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर (IGSTC) की स्थापना भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और जर्मन सरकार द्वारा की गई थी।

 

इसका उद्देश्य भारत-जर्मन की अनुसंधान और प्रौद्योगिकी नेटवर्किंग का उपयोग करते हुए अनुप्रयुक्त अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास एवं उद्योग में भागीदारी की सुविधा प्रदान करने पर जोर देना है।

 

IGSTC अपने प्रमुख कार्यक्रम ‘2+2 परियोजनाओं’ के माध्यम से, भारत और जर्मनी से अनुसंधान और अकादमिक संस्थानों एवं सार्वजनिक/निजी उद्योगों की क्षमता को समन्वित करके नवाचार केंद्रित अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को उत्प्रेरित करता है।