अर्थव्यवस्था समसामियिकी 1 (26-Nov-2020)^लक्ष्मी विलास बैंक का डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड के साथ विलय^(Lakshmi Vilas Bank merged with DBS Bank India Limited)
Posted on November 26th, 2020
सरकार ने संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) बैंक के डीबीएस बैंक इंडिया लि. (डीबीआईएल) में विलय को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा सरकार ने जमाकर्ताओं के लिए बैंक से निकासी की सीमा को भी हटा लिया है।
मंत्रिमंडल ने एलवीबी के डीबीएस बैंक इंडिया लि. में विलय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिससे बैंक के 20 लाख जमाकर्ताओं को राहत मिलेगी और 4,000 कर्मचारियों की सेवाएं भी सुरक्षित रहेंगी।इससे पहले सरकार ने 17 नवंबर को रिजर्व बैंक को संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक पर 30 दिन की ‘रोक’ की सलाह दी थी। साथ ही प्रत्येक जमाकर्ता 25,000 रुपये की निकासी की सीमा तय की गई थी।इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने कंपनी कानून, 2013 के तहत एलवीबी के डीबीआईएल में विलय की योजना का मसौदा भी सार्वजनिक किया था।केंद्रीय बैंक ने एलवीबी के बोर्ड को भंग कर दिया था और केनरा बैंक के पूर्व गैर- कार्यकारी चेयरमैन टी एन मनोहरन को 30 दिन के लिए बैंक का प्रशासक नियुक्त किया था।
डीबीएस बैंक इंडिया लि. (DBS Bank India) यह सिंगापुर के सबसे बड़े उधारदाता बैंक ‘डीबीएस बैंक’ की भारतीय इकाई है।भारत में इसे 1994 में स्थापित किया गया था।ऐसा पहली बार है, जब एक भारतीय बैंक को बचाने के लिए केंद्रीय बैंक ने किसी विदेशी बैंक की भारतीय शाखा का सहारा लिया है।विलय किए गए लक्ष्मी विलास बैंक की क्रेडिट वृद्धि के लिए डीबीएस बैंक 2500 करोड़ रुपये का निवेश करेगा।
चेन्नई स्थित लक्ष्मी विलास बैंक की स्थिति पिछले तीन साल से लगातार बिगड़ती ही जा रही थी। 563 शाखाओ वाले इस बैंक की नवंबर माह तक कुल जमा मात्र 20,973 करोड़ रुपए ही थी।अतः जमकर्ताओं की सुरक्षा के मद्देनजर केंद्रीय बैंक ने बैंकिंग रेगुलेशन अधिनियन 1949 की धारा 45 के अनुसार इसे स्वयं के प्रशासनिक नियंत्रण में लाने के लिए केंद्र सरकार से सिफ़ारिश की थी। जिसके बाद केंद्र ने इस बैंक को 17 नवंबर से 16 दिसंबर तक के लिए मोराटोरियम (केंद्रीय बैंक का नियंत्रण) में डाल दिया था।इसके बाद केंद्रीय बैंक ने कंपनी कानून, 2013 के तहत एलवीबी के डीबीआईएल में विलय की योजना का मसौदा भी सार्वजनिक किया था। जिसे स्वीकार करते हुए केंद्र ने एलवीबी के डीबीआईएल में विलय को मंजूरी दे दी है।
बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 भारत में सभी बैंकिंग फर्मों को नियंत्रित करने वाला कानून है। इसे बैंकिंग कंपनी अधिनियम 1949 के रूप में पारित किया गया था और यह 16 मार्च 1949 से लागू हुआ था। इसे 1 मार्च 1966 से बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 में बदल दिया गया था।
अर्थव्यवस्था समसामियिकी 1 (26-Nov-2020)लक्ष्मी विलास बैंक का डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड के साथ विलय(Lakshmi Vilas Bank merged with DBS Bank India Limited)
सरकार ने संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) बैंक के डीबीएस बैंक इंडिया लि. (डीबीआईएल) में विलय को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा सरकार ने जमाकर्ताओं के लिए बैंक से निकासी की सीमा को भी हटा लिया है।
मंत्रिमंडल ने एलवीबी के डीबीएस बैंक इंडिया लि. में विलय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिससे बैंक के 20 लाख जमाकर्ताओं को राहत मिलेगी और 4,000 कर्मचारियों की सेवाएं भी सुरक्षित रहेंगी।इससे पहले सरकार ने 17 नवंबर को रिजर्व बैंक को संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक पर 30 दिन की ‘रोक’ की सलाह दी थी। साथ ही प्रत्येक जमाकर्ता 25,000 रुपये की निकासी की सीमा तय की गई थी।इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने कंपनी कानून, 2013 के तहत एलवीबी के डीबीआईएल में विलय की योजना का मसौदा भी सार्वजनिक किया था।केंद्रीय बैंक ने एलवीबी के बोर्ड को भंग कर दिया था और केनरा बैंक के पूर्व गैर- कार्यकारी चेयरमैन टी एन मनोहरन को 30 दिन के लिए बैंक का प्रशासक नियुक्त किया था।
डीबीएस बैंक इंडिया लि. (DBS Bank India) यह सिंगापुर के सबसे बड़े उधारदाता बैंक ‘डीबीएस बैंक’ की भारतीय इकाई है।भारत में इसे 1994 में स्थापित किया गया था।ऐसा पहली बार है, जब एक भारतीय बैंक को बचाने के लिए केंद्रीय बैंक ने किसी विदेशी बैंक की भारतीय शाखा का सहारा लिया है।विलय किए गए लक्ष्मी विलास बैंक की क्रेडिट वृद्धि के लिए डीबीएस बैंक 2500 करोड़ रुपये का निवेश करेगा।
चेन्नई स्थित लक्ष्मी विलास बैंक की स्थिति पिछले तीन साल से लगातार बिगड़ती ही जा रही थी। 563 शाखाओ वाले इस बैंक की नवंबर माह तक कुल जमा मात्र 20,973 करोड़ रुपए ही थी।अतः जमकर्ताओं की सुरक्षा के मद्देनजर केंद्रीय बैंक ने बैंकिंग रेगुलेशन अधिनियन 1949 की धारा 45 के अनुसार इसे स्वयं के प्रशासनिक नियंत्रण में लाने के लिए केंद्र सरकार से सिफ़ारिश की थी। जिसके बाद केंद्र ने इस बैंक को 17 नवंबर से 16 दिसंबर तक के लिए मोराटोरियम (केंद्रीय बैंक का नियंत्रण) में डाल दिया था।इसके बाद केंद्रीय बैंक ने कंपनी कानून, 2013 के तहत एलवीबी के डीबीआईएल में विलय की योजना का मसौदा भी सार्वजनिक किया था। जिसे स्वीकार करते हुए केंद्र ने एलवीबी के डीबीआईएल में विलय को मंजूरी दे दी है।
बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 भारत में सभी बैंकिंग फर्मों को नियंत्रित करने वाला कानून है। इसे बैंकिंग कंपनी अधिनियम 1949 के रूप में पारित किया गया था और यह 16 मार्च 1949 से लागू हुआ था। इसे 1 मार्च 1966 से बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 में बदल दिया गया था।