व्यक्ति विशेष समसामियिकी 2 (25-Nov-2020)^लाचित बोड़फुकन^ (Lachit Borphukan)
Posted on November 25th, 2020
प्रधानमंत्री ने लचित दिवस पर लाचित बोड़फुकन (Lachit Borphukan) को श्रद्धांजलि अर्पित की।
लाचित बोड़फुकन अहोम साम्राज्य में एक सेनापति थे।इन्हें सन् 1671 में हुए सराईघाट के प्रसिद्ध युद्ध के लिए जाना जाता है, जिसमे उन्होंने रामसिंह प्रथम के नेतृत्व में मुगल सेना द्वारा अहोम साम्राज्य पर कब्जा करने के प्रयास को विफल कर दिया।सराईघाट का युद्ध गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र के तट पर लड़ा गया था।
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) द्वारा वर्ष 1999 से प्रतिवर्ष सर्वश्रेष्ठ कैडेट को लाचित बोड़फुकन स्वर्ण पदक प्रदान किया जाता है।
सन् 1671 में सराईघाट की लड़ाई के अंतिम चरण के दौरान, जब मुगलों ने सराईघाट में नदी से होकर असमिया सेना पर हमला किया, तो कई असमिया सैनिकों की हिम्मत उखड गयी। ऐसे में आहोम साम्राज्य के सेनापति लाचित ने सभी सैनिकों का आह्वाहन किया और उन्हें अंतिम सांस तक लड़ने के लिए प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप मुगलों की जबरदस्त हार हुई।
व्यक्ति विशेष समसामियिकी 2 (25-Nov-2020)लाचित बोड़फुकन (Lachit Borphukan)
प्रधानमंत्री ने लचित दिवस पर लाचित बोड़फुकन (Lachit Borphukan) को श्रद्धांजलि अर्पित की।
लाचित बोड़फुकन अहोम साम्राज्य में एक सेनापति थे।इन्हें सन् 1671 में हुए सराईघाट के प्रसिद्ध युद्ध के लिए जाना जाता है, जिसमे उन्होंने रामसिंह प्रथम के नेतृत्व में मुगल सेना द्वारा अहोम साम्राज्य पर कब्जा करने के प्रयास को विफल कर दिया।सराईघाट का युद्ध गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र के तट पर लड़ा गया था।
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) द्वारा वर्ष 1999 से प्रतिवर्ष सर्वश्रेष्ठ कैडेट को लाचित बोड़फुकन स्वर्ण पदक प्रदान किया जाता है।
सन् 1671 में सराईघाट की लड़ाई के अंतिम चरण के दौरान, जब मुगलों ने सराईघाट में नदी से होकर असमिया सेना पर हमला किया, तो कई असमिया सैनिकों की हिम्मत उखड गयी। ऐसे में आहोम साम्राज्य के सेनापति लाचित ने सभी सैनिकों का आह्वाहन किया और उन्हें अंतिम सांस तक लड़ने के लिए प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप मुगलों की जबरदस्त हार हुई।