संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग (joint state public service commission)

Posted on May 27th, 2022 | Create PDF File

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दो या इससे अधिक राज्यों के लिए संविधान में संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग की व्यवस्था की गई है। संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग का गठन जहां सीधे संविधान द्वारा किया गया है। वहीं संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग का गठन राज्य विधानमंडल की आग्रह से संसद द्वारा किया जाता है। इस तरह संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग एक सांविधिक (statutory) संस्था है न कि संवैधानिक निकाय। 1966 में पंजाब से पृथक् हुए हरियाणा और पंजाब के लिए अल्पकालीन संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग गठित किया गया।

 

संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उनका कार्यकाल छह वर्ष अथवा 62 वर्ष की आयु, जो पहले हो, तक होता है। उन्हें राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त किया या हटाया जा सकता है। वे किसी भी समय राष्ट्रपति को त्याग-पत्र देकर पदमुक्त हो सकते हैं।

 

संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या और सेवा शर्तों को राष्ट्रपति निर्धारित करता है।

 

संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग वार्षिक प्रगति रिपोर्ट संबंधित राज्यपालों को सौंपता है। प्रत्येक राज्यपाल इसे राज्य विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करता है।

 

संघ लोक सेवा आयोग, राज्यपाल के अनुरोध व राष्ट्रपति की संस्तुति के बाद राज्य की आवश्यकतानुसार भी कार्य सकता है। भारत सरकार अधिनियम, 1919 की व्यवस्था के अनुसार 1926 में केंद्रीय लोक सेवा आयोग का गठन किया गया ताकि योग्य नौकरशाहों की नियुक्ति की जा सके। भारत सरकार अधिनियम, 1935 के अनुसार न केवल संघ लोक सेवा आयोग बल्कि प्रांतीय लोक सेवा आयोग संयुक्त लोक सेवा आयोग का दो या अधिक प्रांतों के लिए गठन किया जा सकता है।