पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामयिकी 1 (23-June-2021)
ग्रेट बैरियर रीफ़
(Great Barrier Reef)

Posted on June 23rd, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में यूनेस्को की एक समिति ने ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ़ को ऐसी विश्व धरोहरों की सूची में रखने की सिफ़ारिश की है जिन पर ख़तरा मंडरा रहा है।

 

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization-UNESCO) द्वारा गठित ‘विश्व धरोहर समिति’ ने इस सिलसिले में एक रिपोर्ट का मसौदा भी जारी किया है।

 

यूनेस्को द्वारा गठित ‘विश्व धरोहर समिति’ के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया की सबसे बड़ी प्रवाल-भित्ति प्रणाली (coral reef system) को जलवायु परिवर्तन के असर से बचाने के लिये पर्याप्त उपाय नहीं किये हैं।

 

समिति ने अपने मसौदे में कहा है कि ग्रेट बैरियर रीफ़ को बचाने हेतु ‘Reef 2050’ नामक एक योजना की शुरूआत की गई थी, किन्तु यह अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो पाई है।

 

रिपोर्ट के मसौदे के मुताबिक, ग्रेट बैरियर रीफ़ की मूँगा-चट्टानों को पिछले कुछ वर्षों में काफी क्षति पहुंची है।

 

हालाँकि यूनेस्को द्वारा गठित ‘विश्व धरोहर समिति’ की रिपोर्ट की ऑस्ट्रेलिया ने आलोचना की है।

 

ऑस्ट्रेलिया सरकार का कहना है कि ग्रेट बैरियर रीफ़ का बेहतरीन ढँग से प्रबन्धन हो रहा है।

 

यूनेस्को (UNESCO) :

यूनेस्को का पूरा नाम संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन(United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization-UNESCO) है।

 

यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति निर्माण के लिए प्रयासरत है।

 

यूनेस्को की स्थापना 16 नवंबर, 1945 को हुई थी तथा इसका मुख्यालय पेरिस में स्थित है।

 

ग्रेट बैरियर रीफ :

ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर स्थित ग्रेट बैरियर रीफ दुनिया की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति है।

 

यहाँ काफी अधिक समुद्री जैव विविधता पायी जाती है।

 

ग्रेट बैरियर रीफ को वर्ष 1981 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था।

 

कोरल रीफ़ या प्रवाल भित्ति :

कोरल रीफ़ को प्रवाल भित्तियाँ या मूंगे की चट्टान के नाम से भी जाना जाता है। ये समुद्र के भीतर स्थित चट्टान हैं जो प्रवालों द्वारा छोड़े गए कैल्सियम कार्बोनेट से निर्मित होती हैं।

 

कोरल रीफ़ प्रायः उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय समुद्रों में मिलती हैं, जहाँ तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस रहता है।

 

ये शैल-भित्तियाँ समुद्र तट से थोड़ी दूर हटकर पाई जाती हैं, जिससे इनके बीच छिछले लैगून बन जाते हैं।

 

कोरल या प्रवाल उथले सागर में पाए जाते हैं और इनके विकास के लिये स्वच्छ एवं अवसादरहित जल आवश्यक है, क्योंकि अवसादों के कारण प्रवालों का मुख बंद हो जाता है और वे मर जाते हैं।

 

प्रवाल या कोरल्स फोटोसिंथेटिक शैवाल के साथ पारस्परिक रूप से साथ में रहते हैं, जिसे जूजैन्थेला(zooxanthellae) कहा जाता है।

 

कोरल(मूंगा)प्रवाल भित्तियों के लिए एक मजबूत कैल्शियम कार्बोनेट संरचना बनाते हैं और जूजैन्थेला के लिए सुरक्षा और एक घर प्रदान करते हैं। इसके बदले मे जूजैन्थेला मूंगा को पोषक तत्व प्रदान करते हैं।