राष्ट्रीय समसामयिकी 4 (25-January-2022)
फूड फोर्टिफिकेशन
(Food Fortification)

Posted on January 25th, 2022 | Create PDF File

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भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के ‘फूड फोर्टिफिकेशन रिसोर्स सेंटर’ (FFRC) द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, भारत की 70% से अधिक आबादी, प्रतिदिन के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों की निर्धारित मात्रा का आधे से भी कम मात्रा का उपभोग करती है।

 

इस प्रकार की कमियां न केवल ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं और बच्चों में पाई जाती हैं, बल्कि शहरी भारत में जनसंख्या समूहों को भी प्रभावित करती हैं।

 

पोषण की कमी को दूर करने की कुंजी :

 

आबादी के एक वर्ग के पास पौष्टिक भोजन तक सीमित पहुंच को देखते हुए, पोषण की कमी को दूर करने के लिए ‘संवर्धन’ / ‘फोर्टिफिकेशन’ (Fortification) काफी महत्वपूर्ण है।

 

देश में रक्ताल्पता (Anaemia) और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का सीधा समाधान करने के लिए, केंद्र सरकार द्वार हाल ही में “सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चावल का संवर्धन और इसका वितरण” (Fortification of Rice & its Distribution under Public Distribution System) पर एक पायलट योजना को मंजूरी दी है।

 

आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों के सहयोग से केंद्र सरकार की ‘खाद्य-संवर्धन’ / ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ पहल पहले से ही शुरू हो चुकी है और इसके तहत ‘पायलट कार्यक्रम’ के तहत फोर्टिफाइड चावल का वितरण शुरू किया जा रहा है।

 

प्रमुख खाद्य पदार्थों और मसालों का मुख्य सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ ‘सवर्धन’ करना, पोषक तत्वों की कमियों को दूर करने का एक प्रभावी तरीका है।

 

सामाजिक और पोषण सुरक्षा कार्यक्रमों में फूड फोर्टिफिकेशन / खाद्य संवर्धन को ‘फोर्टीफिकेशन पहल’ के एक भाग के रूप में, समय पर अपनाना भारत में अल्पपोषण की समस्या के समाधान में में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

 

चावल संवर्धन’ (Rice fortification) की आवश्यकता :

 

चूंकि, देश में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण का स्तर काफी अधिक है, इसे देखते हुए यह घोषणा काफी महत्वपूर्ण है।

 

खाद्य मंत्रालय के अनुसार, देश में हर दूसरी महिला रक्ताल्पता से पीड़ित (anaemic) है और हर तीसरा बच्चा अविकसित या नाटेपन का शिकार है।

 

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI), भारत, 107 देशों की सूची में 94वें स्थान पर है और इसे भुखमरी से संबंधित ‘गंभीर श्रेणी’ में रखा गया है।

 

गरीब महिलाओं और गरीब बच्चों में कुपोषण और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी, उनके विकास में बड़ी बाधा है।

 

खाद्य-संवर्धन’ / ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ :

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ के द्वारा, किसी खाद्यान्न को पोषणयुक्त बनाने हेतु उसमे सावधानी से आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों अर्थात् विटामिन और खनिज तत्वों की मात्रा में वृद्धि की जाती है।

 

देश में खाद्य पदार्थों के लिए मानकों का निर्धारण करने वाली संस्था ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण’ (Food Safety and Standards Authority of India – FSSAI) के अनुसार, ‘खाद्य-संवर्धन’ (Food Fortification), ‘किसी खाद्यान्न को पोषणयुक्त बनाने के लिए उसमे सावधानी से आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों अर्थात् विटामिन और खनिज तत्वों, की मात्रा में वृद्धि करने की प्रकिया होती है।

 

इसका उद्देश्य आपूर्ति किए जाने वाले खाद्यान्न की पोषण गुणवत्ता में सुधार करना तथा न्यूनतम जोखिम के साथ उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना है।

 

यह आहार में सुधार और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का निवारण करने हेतु एक सिद्ध, सुरक्षित और लागत प्रभावी रणनीति है।

 

संवर्धित चावल (Fortified rice) :

 

खाद्य मंत्रालय के अनुसार, आहार में विटामिन और खनिज सामग्री को बढ़ाने के लिए चावल का संवर्धन (fortification) किया जाना एक लागत प्रभावी और पूरक रणनीति है।

 

FSSAI द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार, 1 किलो संवर्धित चावल में आयरन (28 mg-42.5 mg), फोलिक एसिड (75-125 माइक्रोग्राम) और विटामिन B-12 (0.75-1.25 माइक्रोग्राम) होगा।

 

इसके अलावा, चावल को सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ, एकल या संयोजन में, जस्ता (10 मिलीग्राम -15 मिलीग्राम), विटामिन A (500-750 माइक्रोग्राम आरई), विटामिन बी-1 (1 मिलीग्राम-5 मिलीग्राम), विटामिन बी-2 (1.25 mg-1.75 mg), विटामिन B3 (12.5 mg-20 mg) और विटामिन B6 (1.5 mg-2.5 mg) प्रति किग्रा के साथ भी संवर्धित किया जाएगा।

 

फूड फोर्टिफिकेशन’ के लाभ :

 

चूंकि, ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ के तहत व्यापक रूप से सेवन किए जाने वाले मुख्य खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की वृद्धि की जाती है, अतः आबादी के एक बड़े भाग के स्वास्थ्य में सुधार करने हेतु यह एक उत्कृष्ट तरीका है।

 

‘फोर्टिफिकेशन’ व्यक्तियों के पोषण में सुधार करने का एक सुरक्षित तरीका है और भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्वों को मिलाए जाने से लोगों के स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं होता है।

 

इस पद्धति में लोगों की खान-पान की आदतों और पैटर्न में किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है, और यह लोगों तक पोषक तत्व पहुंचाने का सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य तरीका है।

 

‘फूड फोर्टिफिकेशन’ से भोजन की विशेषताओं-स्वाद, अनुभव, स्वरूप में कोई बदलाव नहीं होता है।

 

इसे जल्दी से लागू किया जा सकता है और साथ ही अपेक्षाकृत कम समय में स्वास्थ्य में सुधार के परिणाम भी दिखा सकते हैं।

 

यदि मौजूदा तकनीक और वितरण प्लेटफॉर्म का लाभ उठाया जाता है तो यह काफी लागत प्रभावी विधि साबित हो सकती है।