राष्ट्रीय समसामयिकी 1 (25-January-2022)
सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार
(Subhas Chandra Bose Aapda Prabandhan Award)

Posted on January 25th, 2022 | Create PDF File

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गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान (GIDM) और सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विनोद शर्मा को आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ष 2022 के सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार हेतु चुना गया है। 

 

GIDM की स्थापना वर्ष 2012 में हुई थी और तब से यह गुजरात की आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) क्षमता को बढ़ाने के लिये काम कर रहा है।

 

प्रोफेसर विनोद शर्मा ने DRR को राष्ट्रीय एजेंडे में आगे लाने की दिशा में अथक प्रयास किया है।

 

केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा प्रदान किये गए अमूल्य योगदान और निस्वार्थ सेवा को पहचानने तथा सम्मानित करने के लिये वार्षिक पुरस्कार सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार की स्थापना की है।

 

इस पुरस्कार की घोषणा हर वर्ष 23 जनवरी को स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर की जाती है।

 

इस पुरस्कार में एक संस्थान के मामले में 51 लाख रुपए नकद और प्रमाण पत्र व एक व्यक्ति के मामले में 5 लाख रुपए तथा प्रमाण पत्र दिया जाता है।

 

आपदा ज़ोखिम प्रबंधन :

 

आपदा ज़ोखिम प्रबंधन का तात्पर्य प्राकृतिक खतरों और संबंधित पर्यावरणीय एवं तकनीकी आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिये समाज व समुदाय की नीतियों, रणनीतियों एवं इसके कार्यान्वयन की क्षमताओं को लागू करने हेतु प्रशासनिक निर्णयों, संगठन, परिचालन कौशल व क्षमताओं का उपयोग करने की व्यवस्थित प्रक्रिया से है।

 

इनमें खतरों के प्रतिकूल प्रभावों से बचने (रोकथाम) या सीमित (शमन और तैयारी) करने हेतु संरचनात्मक एवं गैर-संरचनात्मक उपायों सहित सभी प्रकार की गतिविधियाँ शामिल हैं।

 

आपदा प्रबंधन में गतिविधियों के तीन प्रमुख चरण हैं :

 

आपदा पूर्व : इस चरण में खतरों के कारण मानव, सामग्री, या पर्यावरणीय नुकसान की संभावना को कम करने और यह सुनिश्चित करने के लिये कि आपदा आने पर इन नुकसानों को कम-से-कम करने हेतु उपाय शामिल हैं।

 

आपदा के दौरान : इस चरण में कई प्राथमिक क्रियाकलाप अनिवार्य हो जाते हैं। इसमें निकासी, खोज, बचाव और उसके बाद की बुनियादी आवश्यकता (भोजन, वस्त्र, आश्रय स्थल व दवाईयाँ) प्रभावित समुदाय के सामान्य जीवन के लिये जरूरी हैं।

 

आपदा के बाद : इसमें शीघ्र समाधान प्राप्त करने और सुभेद्यता तथा भावी जोखिम कम करने के लिये प्रयास शामिल हैं।