( द हिंदू से )राष्ट्रीय समसामियिकी 2 (12-Feb-2019)
राजस्थान पंचायत चुनावों में शिक्षा मानदंड खत्म
( Education criteria end in Rajasthan panchayat elections)

Posted on February 12th, 2019 | Create PDF File

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राजस्थान विधानसभा ने दो विधेयकों को पारित किया हैं जिनमें पंचायत और नगर निर्वाचन में उम्मीदवारी हेतु न्यूनतम शिक्षा मानदंड को समाप्त किया गया है।वर्तमान राजस्थान सरकार ने सत्ता में आते ही न्यूनतम शिक्षा मानदंड को खत्म करने की घोषणा की थी।

 

सदन ने निम्नलिखित विधेयक ध्वनिमत से पारित किये-


1. राजस्थान पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 2019
2. राजस्थान नगर पालिका (संशोधन) विधेयक, 2019

 

पंचायतों और नगर निकायों के चुनाव लड़ने हेतु आवश्यक न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के मानदंड को पिछली सरकार द्वारा निर्धारित किया गया था। इस मानदंड के अनुसार-


1. ज़िला परिषद या पंचायत चुनाव में भाग लेने वाले उम्मीदवार की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता माध्यमिक स्तर की (दसवीं कक्षा) होनी चाहिये।


2. सरपंच का चुनाव लड़ने के लिये सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार को आठवीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिये।


3. जबकि सरपंच का चुनाव लड़ने के लिये एससी/एसटी श्रेणी के उम्मीदवार को पाँचवीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिये।

 

गौरतलब है कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किये जा चुके सरपंच भी अधिनियम के पिछले प्रावधानों की वज़ह से चुनाव में अयोग्य घोषित हो गए थे।



न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के मानदंड पर बहस के समय सदन में यह भी तर्क दिया गया कि अधिनियम का कथित प्रावधान संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है क्योंकि समाज को शिक्षा के आधार पर विभाजित नहीं किया जा सकता है।1928 में साइमन कमीशन को दिये गए ज्ञापन में भारतीय संविधान के जनक बी.आर. अंबेडकर ने भी कहा था, “जो लोग साक्षरता को मताधिकार हेतु परीक्षण के रूप में देखते हैं और इसे एक शर्त के रूप में लागू करने पर ज़ोर देते हैं, मेरी राय में वे दो गलतियाँ करते हैं। पहली गलती, उनका यह विश्वास कि एक अनपढ़ व्यक्ति आवश्यक रूप से मूर्ख होता है। उनकी दूसरी गलती यह मानने में है कि साक्षरता किसी व्यक्ति को आवश्यक रूप से निरक्षर व्यक्ति की तुलना में उच्च स्तर का बुद्धिमान या ज्ञानी बनाती है।”

 

किसी अच्छे राजनेता की परिभाषा अत्यधिक व्यक्तिपरक होती है और किसी व्यक्ति से अपेक्षित गुण भी बहुत अस्पष्ट होते हैं।यदि विभिन्न लोगों से राजनेताओं के अपेक्षित गुणों के बारे में पूछा जाए तो विभिन्न उत्तर प्राप्त होते हैं। इन उत्तरों में से ईमानदारी, विश्वसनीयता, आम लोगों के साथ जुड़ने की क्षमता और संकटों से निपटने की ताकत जैसे गुण सबसे अधिक होते हैं। हालाँकि, क्या यह मानने का कोई कारण है कि आधुनिक, शिक्षित राजनेता बेहतर नेता होंगे, खासकर स्थानीय स्तर पर?

 

एक तरफ कई लोगों का यह मानना है कि हालिया निर्णय कई मायनों में स्वागत योग्य है, जबकि वहीं दूसरी तरफ, कई लोग पंचायत चुनावों हेतु न्यूनतम शैक्षणिक मानदंड जैसे नियमों के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं। किसी भी देश के राजनेता उस देश के समाज के प्रतिबिंब होते हैं। जैसा कि ‘व्हेन क्राइम पे: मनी एंड मसल इन इंडियन पॉलिटिक्स’ नामक पुस्तक में लिखा है, “किसी ऐसे देश में जहाँ आपराधिकता को एक चुनावी संपत्ति के रूप में देखा जाता हो, वहाँ लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों का खंडन करने की बजाय अपराधियों द्वारा शासित होने से इनकार किया जाना चाहिये।