कला एवं संस्कृति समसामियिकी 1 (19-Apr-2019)
दास्तानगोई-उर्दू कहानी कहने की एक परंपरा (Dastangoi-Tradition of Urdu Storytelling)

Posted on April 19th, 2019 | Create PDF File

hlhiuj

दास्तानगोई उर्दू कहानी कहने की एक परंपरा है। इसमें दास्तानगो या कहानीकार केंद्र में होते हैं जिनकी आवाज़ मुख्य कलात्मक उपकरण होती है।

 

इस कला की उत्पत्ति फारस में हुई थी, किंतु इस्लाम के प्रसार के साथ-साथ यह दिल्ली और भारत के अन्य हिस्सों में भी प्रचलित हो गई।

 


यह कला 1857 के सिपाही विद्रोह के दौरान अपने शिखर पर थी जब कई दास्तानगो या कहानीकारों ने लखनऊ पहुँचकर कला के इस रूप को लोकप्रिय बना दिया था।

 


वर्ष 1928 में मीर बकर अली के निधन के साथ ही कुछ समय के लिये यह कला गायब सी हो गई थी जिसे वर्ष 2005 में पुनः मुख्यधारा में लाने के प्रयास किये गए थे।