व्यक्ति विशेष समसामयिकी 1 (11-June-2021)^बुद्धदेव दासगुप्ता^(Buddhadev Dasgupta)
Posted on June 11th, 2021
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रख्यात बंगाली फिल्म निर्माता बुद्धदेव दासगुप्ता (77 वर्ष) के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि बुद्धदेव दासगुप्ता ने अपनी विश्व प्रसिद्ध फिल्मों और कविताओं से हमारी कला तथा संस्कृति को समृद्ध किया है।
गौतम घोष और अपर्णा सेन के साथ बुद्धदेब दासगुप्ता को 1980 और 1990 के दशक में बंगाल में समानांतर सिनेमा आंदोलन के ध्वजवाहक के रूप में जाना जाता है।
दूरत्व (1978), गृहजुद्धा (1982) और अंधी गली (1984) जैसी उनकी प्रारंभिक फिल्में बंगाल में नक्सली आंदोलन और बंगाली लोगों की सामूहिक चेतना पर उसके प्रभाव पर केंद्रित थीं।
बुद्धदेव दासगुप्ता ने अपने कॅॅरियर में पाँच बार सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिये राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था, जिसमें बाग बहादुर (1989), चरचर (1993), लाल दर्जा (1997), मोंडो मेयर उपाख्यान (2002) और कालपुरुष (2008) शामिल हैं, जबकि उनकी फिल्में दूरत्व (1978) और तहदार कथा (1993) ने बांग्ला में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था।
उन्हें उनकी फिल्मों उत्तरा (2000) और स्वप्नेर दिन (2005) के लिये सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
वे एक महत्त्वपूर्ण कवि भी थे, जिन्होंने कई कविता संग्रहों का प्रकाशन किया।
इसके अलावा उन्हें वर्ष 2008 में मैड्रिड में आयोजित ‘स्पेन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’ में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
व्यक्ति विशेष समसामयिकी 1 (11-June-2021)बुद्धदेव दासगुप्ता(Buddhadev Dasgupta)
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रख्यात बंगाली फिल्म निर्माता बुद्धदेव दासगुप्ता (77 वर्ष) के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि बुद्धदेव दासगुप्ता ने अपनी विश्व प्रसिद्ध फिल्मों और कविताओं से हमारी कला तथा संस्कृति को समृद्ध किया है।
गौतम घोष और अपर्णा सेन के साथ बुद्धदेब दासगुप्ता को 1980 और 1990 के दशक में बंगाल में समानांतर सिनेमा आंदोलन के ध्वजवाहक के रूप में जाना जाता है।
दूरत्व (1978), गृहजुद्धा (1982) और अंधी गली (1984) जैसी उनकी प्रारंभिक फिल्में बंगाल में नक्सली आंदोलन और बंगाली लोगों की सामूहिक चेतना पर उसके प्रभाव पर केंद्रित थीं।
बुद्धदेव दासगुप्ता ने अपने कॅॅरियर में पाँच बार सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिये राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था, जिसमें बाग बहादुर (1989), चरचर (1993), लाल दर्जा (1997), मोंडो मेयर उपाख्यान (2002) और कालपुरुष (2008) शामिल हैं, जबकि उनकी फिल्में दूरत्व (1978) और तहदार कथा (1993) ने बांग्ला में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था।
उन्हें उनकी फिल्मों उत्तरा (2000) और स्वप्नेर दिन (2005) के लिये सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
वे एक महत्त्वपूर्ण कवि भी थे, जिन्होंने कई कविता संग्रहों का प्रकाशन किया।
इसके अलावा उन्हें वर्ष 2008 में मैड्रिड में आयोजित ‘स्पेन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’ में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था।