राष्ट्रीय समसामियिकी 1 (14-Jan-2021)^‘ASMI’ मशीन पिस्तौल^('ASMI' Machine Pistol)
Posted on January 14th, 2021
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय सेना ने संयुक्त तौर पर भारत की पहली स्वदेशी मशीन पिस्तौल- ‘ASMI’ विकसित की है। स्वदेशी रूप से निर्मित इस पिस्तौल का इस्तेमाल वर्तमान में रक्षा बलों द्वारा प्रयोग की जा रही 9 एमएम पिस्तौल के स्थान पर किया जा सकता है। DRDO द्वारा विकसित इस मशीन पिस्तौल की फायरिंग रेंज तकरीबन 100 मीटर है और इस पिस्तौल के प्रोटोटाइप से अब तक बीते चार महीनों में कुल 300 राउंड फायर किये गए हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित यह मशीन पिस्तौल इज़राइल की उजी सीरीज़ (Uzi series) की बंदूक की श्रेणी में आती है। इस प्रकार के व्यक्तिगत रक्षा हथियार प्रायः दुनिया भर में सशस्त्र बलों और पुलिस कर्मियों के बीच काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि ये काफी हल्के, सस्ते और प्रभावी होते हैं तथा इनका संचालन आसानी से किया जा सकता है। वर्ष 1958 में DRDO की स्थापना रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मात्र 10 प्रयोगशालाओं के साथ की गई थी और इसे भारतीय सशस्त्र बलों के लिये अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के डिज़ाइन तथा विकास का कार्य सौंपा गया था। यह रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है।
राष्ट्रीय समसामियिकी 1 (14-Jan-2021)‘ASMI’ मशीन पिस्तौल('ASMI' Machine Pistol)
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय सेना ने संयुक्त तौर पर भारत की पहली स्वदेशी मशीन पिस्तौल- ‘ASMI’ विकसित की है। स्वदेशी रूप से निर्मित इस पिस्तौल का इस्तेमाल वर्तमान में रक्षा बलों द्वारा प्रयोग की जा रही 9 एमएम पिस्तौल के स्थान पर किया जा सकता है। DRDO द्वारा विकसित इस मशीन पिस्तौल की फायरिंग रेंज तकरीबन 100 मीटर है और इस पिस्तौल के प्रोटोटाइप से अब तक बीते चार महीनों में कुल 300 राउंड फायर किये गए हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित यह मशीन पिस्तौल इज़राइल की उजी सीरीज़ (Uzi series) की बंदूक की श्रेणी में आती है। इस प्रकार के व्यक्तिगत रक्षा हथियार प्रायः दुनिया भर में सशस्त्र बलों और पुलिस कर्मियों के बीच काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि ये काफी हल्के, सस्ते और प्रभावी होते हैं तथा इनका संचालन आसानी से किया जा सकता है। वर्ष 1958 में DRDO की स्थापना रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मात्र 10 प्रयोगशालाओं के साथ की गई थी और इसे भारतीय सशस्त्र बलों के लिये अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के डिज़ाइन तथा विकास का कार्य सौंपा गया था। यह रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है।