कला एवं संस्कृति समसामियिकी 1 (14-Jan-2021)^माघी मेला^(Maghi Mela)
Posted on January 14th, 2021
कई दशकों में पहली बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है कि ऐतिहासिक माघी मेले (Maghi Mela) में कोई राजनीतिक सम्मेलन नहीं होगा।
पंजाब के मुक्तसर में प्रत्येक वर्ष जनवरी अथवा नानकशाही कैलेंडर के अनुसार माघ के महीने में माघी मेले का आयोजन किया जाता है। नानकशाही कैलेंडर को सिख विद्वान पाल सिंह पुरेवाल ने तैयार किया था ताकि इसे विक्रम कैलेंडर के स्थान पर लागू किया जा सके और गुरुपर्व एवं अन्य त्योहारों की तिथियों का पता चल सके।
माघी वह अवसर है जब गुरु गोबिंद सिंह जी के लिये लड़ाई लड़ने वाले चालीस सिखों के बलिदान को याद किया जाता है। माघी की पूर्व संध्या पर लोहड़ी त्योहार मनाया जाता है, इस दौरान परिवारों में बेटों के जन्म की शुभकामना देने के उद्देश्य से हिंदू घरों में अलाव जलाया जाता है और उपस्थित लोगों को प्रसाद बाँटा जाता है।
माघी का दिन चाली मुक्ते की वीरतापूर्ण लड़ाई को सम्मानित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है, उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह को खोज रही मुगल शाही सेना द्वारा किये गए हमले से उनकी रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
मुगल शाही सेना और चाली मुक्ते के बीच यह लड़ाई 29 दिसंबर, 1705 को खिदराने दी ढाब के निकट हुई थी। इस लड़ाई में शहीद हुए चालीस सैनिकों (चाली मुक्ते) के शवों का अंतिम संस्कार अगले दिन किया गया जो कि माघ महीने का पहला दिन था, इसलिये इस त्योहार का नाम माघी रखा गया है।
कला एवं संस्कृति समसामियिकी 1 (14-Jan-2021)माघी मेला(Maghi Mela)
कई दशकों में पहली बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है कि ऐतिहासिक माघी मेले (Maghi Mela) में कोई राजनीतिक सम्मेलन नहीं होगा।
पंजाब के मुक्तसर में प्रत्येक वर्ष जनवरी अथवा नानकशाही कैलेंडर के अनुसार माघ के महीने में माघी मेले का आयोजन किया जाता है। नानकशाही कैलेंडर को सिख विद्वान पाल सिंह पुरेवाल ने तैयार किया था ताकि इसे विक्रम कैलेंडर के स्थान पर लागू किया जा सके और गुरुपर्व एवं अन्य त्योहारों की तिथियों का पता चल सके।
माघी वह अवसर है जब गुरु गोबिंद सिंह जी के लिये लड़ाई लड़ने वाले चालीस सिखों के बलिदान को याद किया जाता है। माघी की पूर्व संध्या पर लोहड़ी त्योहार मनाया जाता है, इस दौरान परिवारों में बेटों के जन्म की शुभकामना देने के उद्देश्य से हिंदू घरों में अलाव जलाया जाता है और उपस्थित लोगों को प्रसाद बाँटा जाता है।
माघी का दिन चाली मुक्ते की वीरतापूर्ण लड़ाई को सम्मानित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है, उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह को खोज रही मुगल शाही सेना द्वारा किये गए हमले से उनकी रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
मुगल शाही सेना और चाली मुक्ते के बीच यह लड़ाई 29 दिसंबर, 1705 को खिदराने दी ढाब के निकट हुई थी। इस लड़ाई में शहीद हुए चालीस सैनिकों (चाली मुक्ते) के शवों का अंतिम संस्कार अगले दिन किया गया जो कि माघ महीने का पहला दिन था, इसलिये इस त्योहार का नाम माघी रखा गया है।