भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति एंव कार्यकाल (Appointment and Term of Attorney-General for India)

Posted on May 20th, 2022 | Create PDF File

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महान्यायवादी (अटार्नी जनरल) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है। उसमें उन योग्यताओं का होना आवश्यक है, जो उच्चतम न्यायालय के  किसी न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए होती है। दूसरे शब्दों में, उसके  लिए आवश्यक है कि वह भारत का नागरिक हो, उसे उच्च न्यायालय  के न्यायाधीश के रूप में काम करने का पांच वर्षों का अनुभव  या किसी उच्च न्यायालय में वकालत का 10 वर्षों का अनुभव हो  या राष्ट्रपति के मतानुसार वह न्यायिक मामलों का योग्य व्यक्ति हो।

महान्यायवादी के कार्यकाल को संविधान द्वारा निश्चित नहीं किया  गया है। इसके अलावा संविधान में उसको हटाने को लेकर भी कोई  मूल व्यवस्था नहीं दी गई है। वह अपने पद पर राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत  तक बने रह सकता है। इसका तात्पर्य है कि उसे राष्ट्रपति द्वारा किसी  भी समय हटाया जा सकता है। वह राष्ट्रपति को कभी भी अपना त्याग-पत्र सौंपकर पदमुक्त हो सकता है। परंपरा यह है कि जब सरकार (मंत्रिपरिषद) त्याग-पत्र दे दे या उसे बदल दिया जाए तो उसे त्याग-पत्र देना होता है क्योंकि उसकी नियुक्ति सरकार की सिफारिश से ही होती संविधान में महान्यायवादी का पारिश्रमिक तय नहीं किया गया है, उसे राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित पारिश्रमिक मिलता है।