भारत के महान्यायवादी का अधिकार एंव मर्यादाएं (Rights and limitations of Attorney General of India)

Posted on May 20th, 2022 | Create PDF File

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भारत के किसी भी क्षेत्र में किसी भी अदालत में महान्यायवादी को सुनवाई का अधिकार है। इसके अतिरिक्त संसद के दोनों सदनों में बोलने या कार्यवाही में भाग लेने या दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में  मताधिकार के बगैर भाग लेने का अधिकार है। एक संसद सदस्य की  तरह सभी भत्ते एवं विशेषाधिकार मिलते हैं।

 

महान्यायवादी की निम्नलिखित सीमाएं हैं ताकि उसके कर्तव्यों के तहत किसी तरह का संघर्ष या जटिलता न रहे:

1.वह भारत सरकार के खिलाफ कोई सलाह या विश्लेषण नहीं कर सकता।

 

2.जिस मामले में उसे भारत सरकार की ओर से पेश होना है, उस पर वह कोई टिप्पणी नहीं कर सकता है।

 

3.बिना भारत सरकार की अनुमति के वह किसी आपराधिक मामले में व्यक्ति का बचाव नहीं कर सकता।

 

4.बिना भारत सरकार की अनुमति के वह किसी परिषद या कंपनी के निदेशक का पद ग्रहण नहीं कर सकता।

 

5.जब तक कि विधि एवं न्याय मंत्रालय, वैधानिक मामले विभाग के माध्यम से इस आशय का कोई प्रस्ताव या संदर्भ उसे प्रेषित नहीं किया जाता, वह भारत सरकार के किसी मंत्रालय या विभाग, या सार्वजनिक उपक्रम, या वैधानिक संगठन को अपनी सलाह नहीं देगा।

 

हालांकि महान्यायवादी सरकार का पूर्णकालिक वकील नहीं है। वह एक सरकारी कर्मी की श्रेणी में नहीं आता इसलिए उसे निजी विधिक कार्यवाही से रोका नहीं जा सकता।