निर्वाचन आयोग की संरचना (Composition of Election Commission)

Posted on May 23rd, 2022 | Create PDF File

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संविधान के अनुच्छेद-324 में चुनाव आयोग के संबंध में निम्नलिखित उपबंध हैं:

 

1.निर्वाचन आयोग मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य आयुक्तों से मिलकर बना होता है।

 

2.मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाए।

 

3.जब कोई अन्य निर्वाचन आयुक्त इस प्रकार नियुक्त किया जाता है, तब मुख्य निर्वाचन आयुक्त निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष के रूप में काम करेगा।

 

4.राष्ट्रपति, निर्वाचन आयोग की सलाह पर प्रादेशिक आयुक्तों की नियुक्ति कर सकता है, जिसे वह निर्वाचन आयोग की सहायता के लिए आवश्यक समझे।

 

5.निर्वाचन आयुक्तों व प्रादेशिक आयुक्तों की सेवा की शर्तें व पदावधि राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाएंगी।

 

1950 से 15 अक्टूबर, 1989 तक निर्वाचन आयोग एक सदस्यीय निकाय के रूप में कार्य करता था, जिसमें केवल मुख्य निर्वाचन

अधिकारी होता था। मत देने की न्यूनतम आयु 21 से 18 वर्ष करने के बाद 16 अक्तूबर, 1989 को राष्ट्रपति ने आयोग के काम के भार  को कम करने के लिए दो अन्य निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त किया।

 

इसके बाद, आयोग बहुसदस्यीय संस्था के रूप में कार्य करने लगा,जिसमें तीन निर्वाचन आयुक्त हैं। हालांकि 1990 में दो निर्वाचन आयुक्तों के पद को समाप्त कर दिया गया और स्थिति एक बार पहले की तरह हो गई। एक बार फिर अक्तूबर 1993 में दो निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त किया गया। इसके बाद से अब तक आयोग बहुसदस्यीय संस्था के तौर पर काम कर रहा है, जिसमें तीन निर्वाचन आयुक्त हैं।

 

मुख्य निर्वाचन आयुक्त व दो अन्य निर्वाचन आयुक्तों के पास समान शक्तियां होती हैं तथा उनके वेतन, भत्ते व दूसरे अनुलाभ भी  एक-समान होते हैं, जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान  होते हैं। ऐसी स्थिति में जब मुख्य निर्वाचन आयुक्त व दो अन्य निर्वाचन आयुक्तों के बीच विचार में मतभेद होता है तो आयोग बहुमत के आधार पर निर्णय करता है।

 

उनका कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो पहले हो, तक होता है। वे किसी भी समय त्याग-पत्र दे सकते हैं या उन्हें कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व भी हटाया जा सकता है।