विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी समसामयिकी 2 (6-June-2021)
हिमाचल प्रदेश द्वारा ओलावृष्टि रोधी बंदूक परीक्षण
(Anti-hail gun test by Himachal Pradesh)

Posted on June 6th, 2021 | Create PDF File

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ओलावृष्टि के कारण फसल को ख़राब होने से बचाने के लिए वाले बागवानों की सहायता हेतु, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित ‘ओलावृष्टि रोधी बंदूक’ अर्थात ‘एंटी-हेल गन’ (Anti-Hail Guns) के उपयोग का परीक्षण किया जाएगा।

 

‘ओला’ :

ओलों (Hail) का निर्माण ‘कपासी वर्षा मेघों’ (Cumulonimbus Clouds) के द्वारा होता है। कपासी वर्षा मेघ, आमतौर पर काफी विस्तृत और काले बादल होतें हैं, जिनमे गरज के साथ बिजली चमकती है।

 

इन बादलों में, हवाएं, जल-बूदों को उस ऊंचाई तक अपने साथ उड़ा ले जाती हैं, जहाँ जल-बूंदे बर्फ के रूप में जम जाती हैं। ये जमी जमी हुई जल-बूंदें, वर्षा के रूप में नीचे गिरने लगती हैं, किंतु शीघ्र ही हवाओं द्वारा इन्हें वापस ऊपर की ओर धकेल दिया जाता हैं और इन पर अधिक बूंदें जम जाती हैं, परिणामस्वरूप जमी हुई जल-बूंदों अर्थात ओलों पर बर्फ की कई परतें चढ़ जाती हैं।

 

इन जमी हुई जल-बूंदों के नीचे गिरने और फिर से ऊपर जाने की प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती रहती है, और जब तक ये ओले भारी होकर, ओलावृष्टि के रूप में पृथ्वी पर नीचे नहीं गिरने लगते।

 

‘एंटी-हेल गन‘ :

एंटी-हेल गन (Anti-Hail Gun), बादलों में ओलों के विकास को बाधित करने के लिए ‘आघात तरंगें’ अर्थात शॉक वेव्स (Shock Waves) उत्पन्न करने वाली एक मशीन है।

 

यह एक उल्टे टावर से मिलता-जुलता कई मीटर ऊँचा एक स्थिर ढांचा होता है और इसमें आकाश की ओर खुलने वाली एक लंबी और संकीर्ण शंक्वाकार नली लगी होती है।

 

बंदूक के निचले हिस्से में एसिटिलीन गैस और हवा का विस्फोटक मिश्रण भरकर, इसे दागा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप ‘शॉक वेव्स’ निकलती हैं। इन ‘शॉक वेव्स’ की गति सुपरसोनिक विमान से निकलने वाली तरंगों की भांति ध्वनि की गति से तेज होती है।

 

ये शॉक वेव्स बादलों में जल-बूंदों को ओलों में बदलने से रोक देगी, जिससे कि ये साधारण बारिश की बूंदों के रूप में नीचे गिरेंगी।

 

हिमाचल प्रदेश में ओलावृष्टि एक बड़ा मुद्दा :

हर बार गर्मियों में, मार्च से मई तक, हिमाचल के फल उत्पादक क्षेत्रों में होने वाली लगातार ओलावृष्टि से सेब, नाशपाती और अन्य फसलें नष्ट हो जाती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है। नारकंडा और ठियोग (Theog) जैसे कुछ ओला प्रवण क्षेत्रों में, कभी-कभी इस प्रकार के तूफानों से किसी बाग में सेब की पूरी फसल नष्ट हो जाती है।