दिवस विशेष समसामयिकी 1(3-Feb-2023)
विश्व आर्द्रभूमि दिवस
(World Wetland Day)

Posted on February 4th, 2023 | Create PDF File

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प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को पूरे विश्व में ”विश्व आर्द्रभूमि दिवस” यानी ”वर्ल्ड वेटलैंड डे” मनाया जाता है।

 

इसी दिन वर्ष 1971 में ईरान के शहर रामसर में कैस्पियन सागर के तट पर आर्द्रभूमि पर अभिसमय (Convention on Wetlands) को अपनाया गया था।

 

विश्व आर्द्रभूमि दिवस पहली बार 2 फरवरी, 1997 को रामसर सम्मलेन के 16 वर्ष पूरे होने पर मनाया गया था।

 

आर्द्रभूमि विश्व के कुछ सबसे नाजुक और संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र हैं जो पौधों एवं पशुओं के लिये अद्वितीय आवास हैं तथा विश्व  भर में लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करते हैं।

 

इस दिवस का आयोजन लोगों और हमारे ग्रह हेतु आर्द्रभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिये किया जाता है।

 

वर्तमान में भारत में कुल 75 वेटलैंड्स साइट्स ऐसी हैं जो रामसर साइट्स में शामिल हैं।

 

विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2023 की थीम ‘इट्स टाइम फॉर वेटलैंड्स रिस्टोरेशन’ है। 

 

रामसर मान्यता :

 

रामसर साइट रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की एक आर्द्रभूमि है, जिसे वर्ष 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित एक अंतर-सरकारी पर्यावरण संधि 'वेटलैंड्स पर कन्वेंशन' के रूप में भी जाना जाता है और इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है, जहाँ उस वर्ष सम्मेलन पर हस्ताक्षर किये गए थे।

 

रामसर मान्यता दुनिया भर में आर्द्रभूमि की पहचान है जो अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के हैं, खासकर अगर वे जलपक्षी (पक्षियों की लगभग 180 प्रजातियों) को आवास प्रदान करते हैं।

 

ऐसी आर्द्रभूमियों के संरक्षण और उनके संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग में अंतर्राष्ट्रीय हित और सहयोग शामिल है।

 

पश्चिम बंगाल में सुंदरबन भारत का सबसे बड़ा रामसर स्थल है।

 

भारत की रामसर आर्द्रभूमि, 18 राज्यों में देश के कुल आर्द्रभूमि क्षेत्र के 11,000 वर्ग किमी. में फैली हुई है।

 

 

किसी अन्य दक्षिण एशियाई देश में उतने स्थल नहीं हैं, हालाँकि इसका भारत की भौगोलिक विस्तार और उष्णकटिबंधीय विविधता से बहुत कुछ लेना-देना है।

 

आर्द्रभूमि :

 

आर्द्रभूमि वे पारिस्थितिक तंत्र हैं जो मौसमी या स्थायी रूप से जल से संतृप्त या भरे हुए होते हैं।

 

इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, चावल के खेत, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री क्षेत्र जहाँ निम्न ज्वार 6 मीटर से अधिक गहरे नहीं होते तथा इसके अलावा मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे- अपशिष्ट जल उपचारित जलाशय शामिल हैं।

 

यद्यपि ये भू-सतह के केवल 6% हिस्से हो ही कवर करते हैं। सभी पौधों और जानवरों की प्रजातियों का 40% आर्द्रभूमियों में ही पाया जाता है या वे यहाँ प्रजनन करते हैं।

 

महत्त्व :

 

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में सहायक :

 

आर्द्रभूमियाँ जलवायु और भूमि-उपयोग-मध्यस्थ GHG उत्सर्जन को कम करके और वातावरण से CO2 को सक्रिय रूप से एकत्र करने की क्षमता को बढ़ाकर CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड), CH4 (मीथेन), N2O (नाइट्रस ऑक्साइड) तथा ग्रीनहाउस गैस (GHG) सांद्रता को स्थिर करने में सहायता करती हैं।

 

आर्द्रभूमियाँ समुद्र तटों की रक्षा करके बाढ़ जैसी आपदाओं के जोखिम को कम करने में भी मदद करती हैं।

 

कार्बन संग्रहण :

 

आर्द्रभूमि के रोगाणु, पौधे और वन्यजीव, जल, नाइट्रोजन और सल्फर के वैश्विक चक्रों का हिस्सा हैं।

 

आर्द्रभूमि कार्बन को कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में वातावरण में छोड़ने के बजाय अपने वृक्ष समुदायों और मृदा के भीतर संग्रहीत करती है।