(द हिंदू से)अर्थव्यवस्था समसामयिकी 1 (29-Mar-2019)
समान कार्य के लिये असमान वेतन (Unequal pay for equal work)

Posted on March 29th, 2019 | Create PDF File

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हाल ही में ऑक्सफेम इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में समान कार्य के लिये महिलाओं को उनके समकक्ष पुरुषों से 34% कम वेतन प्राप्त होता है।


ऑक्सफेम इंडिया ने ‘माइंड द गैप: स्टेट ऑफ़ एम्प्लॉयमेंट इन इंडिया’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में महिलाओं का अवैतनिक कार्यों (घरेलू कार्य) में अत्यधिक प्रतिनिधित्व है।महिलाओं को समान कार्य के लिये पुरुषों से लगभग एक-तिहाई (34%) कम भुगतान किया जाता है।राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (National Sample Survey Office) (2011-12) के अनुमानों के आधार पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में नियमित रूप से वेतन पाने वाली महिलाओं को उनके समकक्ष पुरुषों से औसतन क्रमश: 123 और 105 रुपए का कम भुगतान किया जाता है।


इसी प्रकार ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में अनियमित रूप से कार्य करने वाली महिलाओं को अपने पुरुष समकक्ष की तुलना में क्रमश: 72 और 47 रुपए कम प्राप्त होते हैं।यदि अवैतनिक कार्यों जैसे- देखभाल और घरेलू गतिविधियों को NSSO के कार्य की परिभाषा में शामिल किया जाए तो महिला श्रम बल भागीदारी दर जो 2011-12 में 20.5 प्रतिशत थी बढ़कर 81.7 प्रतिशत हो जाती।धर्मं के आधार पर महिला श्रम बल भागीदारी दर में कोई बड़ा अंतर नहीं दिखाई पड़ता है। हालाँकि जाति के आधार पर कुछ अंतर स्पष्ट रूप से दिखता हैं।मुस्लिम महिलाएँ अधिकतर घरेलू वस्तुओं के निर्माण में, अनुसूचित जाति की महिलाएँ निर्माण एवं साफ-सफाई कार्यों में तथा गैर-अनुसूचित जाति की महिलाएँ अधिकतर शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य क्षेत्रों में कार्यरत हैं।


महिला रोज़गार का आधा हिस्सा 10 उद्योगों में सीमित है। प्रत्येक 7 में से 1 महिला केवल शैक्षणिक क्षेत्र में कार्यरत है।लगभग 49.5 प्रतिशत विवाहित महिलाएँ उसी क्षेत्र में काम करती है जहाँ उनके पति काम करते हैं।दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में महिला श्रमिकों की संख्या अधिक है लेकिन फिर भी ये राज्य अंतर्राष्ट्रीय मानकों से नीचे हैं।


रिपोर्ट में इस अंतर को कम करने के लिये कुछ सुझाव भी दिये गए हैं। जैसे-अधिक रोज़गार सृजन के लिये श्रम प्रधान क्षेत्रों का और अधिक विकास करने की ज़रूरत है।नौकरियों में वृद्धि समावेशी तरीके से होनी चाहिये साथ ही नई नौकरियों में बेहतर कार्य स्थितियों के साथ रोज़गार सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है।सुरक्षा के अंतर्गत सामाजिक सुरक्षा, मातृत्व अवकाश एवं अन्य अधिकार भी शामिल हों।