राष्ट्रीय समसामियिकी 1 (17-Feb-2019)
कृष्णा सोबती के आखिरी उपन्यास का विमोचन
(The release of the last novel of Krishna Sobti)

Posted on February 17th, 2019 | Create PDF File

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हिंदी की प्रख्यात लेखिका कृष्णा सोबती के आखिरी उपन्यास ‘गुजरात पाकिस्तान से, गुजरात हिन्दुस्तान तक’ तक का अंग्रेजी अनुवाद सोमवार को उनके जन्म दिन के मौके पर पुस्तक भंडारों में उपलब्ध होगा।

 

सोबती का लंबी बीमारी के बाद 25 जनवरी को निधन हो गया था। वह जीवित होती तो यह उनका 94वां जन्मदिन होता।

 

इस उपन्यास को उनके जीवन का अब तक का अत्याधिक निजी उपन्यास बताया जा रहा है जो 1947 के बंटवारे के बाद के वर्षों का हाल बयां करता है और दिल्ली से सिरोही रियासत तक के सफर के इर्द-गिर्द घूमता है।

 

यह उपन्यास निडर एवं शक्तिशाली नायिका मंझली की कहानी है जिसे नये आजाद भारत में अनगिनत चुनौतियों के बीच अपना रास्ता तलाशने के लिए संघर्ष करना है।

 

अनुवादक डेजी रॉकवेल ने पुस्तक की प्रस्तावना में लिखा है, “जहां अन्य लेखक विभाजन पर उपन्यास या इतिहास लिखने के लिए बहुत सारे शब्द खर्च करते हैं वहीं सोबती का प्रयास रहा है कि वह कम से कम शब्दों में हिंसा एवं विस्थापन की कहानी कहें।”

 

उन्होंने कहा, “यहां तक कि मंटो को भी विभाजन की बेहद लघु कथाओं के संग्रह ‘स्याह हाशिए’ में भी इतने कम शब्दों का इस्तेमाल करने में संघर्ष करना पड़ा।”

 

1925 में जन्मी सोबती को नारीवाद एवं यौन भावनाओं के मुद्दों पर लिखने के लिए जाना जाता है।