व्यक्ति विशेष समसामियिकी 1 (23-Feb-2021)
स्वामी सहजानंद सरस्वती
(Swami Sahajanand Saraswati)

Posted on February 23rd, 2021 | Create PDF File

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* भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में समाज के हर एक वर्ग ने अपनी महती भूमिका निभाई।

 

* इस आंदोलन को आगे बढ़ाने एवं बौद्धिक प्रेरणा देने में भारतीय मनीषियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।

 

* ऐसे ही महान मनीषियों में से एक थे स्वामी सहजानंद सरस्वती। स्वामी सहजानंद सरस्वती भारत में किसान आंदोलन के जनक के रूप में विख्यात है इसके साथ ही वह एक प्रख्यात बुद्धिजीवी, लेखक, समाज-सुधारक, क्रान्तिकारी, इतिहासकार भी थे। 

 


* भारतीय समाज में जातिगत भेदभाव को मिटाने के लिए इन्होंने ब्राह्मणेतर जाति के लोगों के सन्यास की वकालत की। 

 

* स्वामी सहजानंद सरस्वती गांधीजी से काफी प्रभावित थे एवं इन्होंने असहयोग आंदोलन के दौरान बिहार में सक्रिय भूमिका निभाई।

 

* आगे चलकर यह कांग्रेस में शामिल हो गए और जमीदारों के विरुद्ध एक सशक्त आंदोलन प्रारंभ किया।

 

* किसान आंदोलन में मील का पत्थर माने जाने वाले 1936 में लखनऊ में गठित ‘अखिल भारतीय किसान सभा’ के प्रथम अध्यक्ष बनने की उपलब्धि भी स्वामी सहजानंद सरस्वती को प्राप्त हुई।

 

* इन्होंने सुभाष चंद्र बोस के साथ किसान आंदोलन को आगे बढ़ाते किसान आंदोलन का और प्रसार किया गया।

 

* किसान आंदोलन को सशक्त आधार प्रदान करने के लिए इन्होंने पटना के बिहटा में सीताराम आश्रम की स्थापना की।

 

* यह एक उच्च कोटि के विद्वान थे एवं इन्होंने कई ग्रंथों की रचना की जिनमें शामिल है-भूमिहार ब्राह्मण परिचय, झूठा भय मिथ्या अभिमान,ब्राह्मण कौन, महारुद्र का महातांडव, जंग और राष्ट्रीय आजादी
इन्होंने अपनी आत्मकथा ‘मेरा जीवन संघर्ष’ के नाम से लिखा।

 

* इन्होंने भारत के स्वतंत्रता के उपरांत भी जमींदारी व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष को बनाए रखा।

 

* इनके योगदान को देखकर राष्ट्रकवि दिनकर के द्वारा इन्हें दलितों के सन्यासी की उपाधि प्रदान की गई।