राष्ट्रीय समसामयिकी 3 (31-May-2021)
संदिग्ध मतदाता अथवा डी-वोटर
(Suspected voter or de-voter)

Posted on May 31st, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में, असम के छह हिरासत केंद्रों (Detention Centre) में से एक हिरासत केंद्र में बचे अंतिम ‘विदेशी’ (Foreigner), मणीन्द्र दास रिहा कर दिए गए हैं। अभी, अन्य पांच हिरासत केंद्रों में बंद लगभग 170 व्यक्तियों को रिहा किया जाना बाकी है।

मणीन्द्र दास को वर्ष 2015 में ‘डी-वोटर’ अर्थात ‘संदिग्ध मतदाता’ के रूप में चिह्नित किया गया था और बाद में इनके लिए वर्ष 2019 में एक ‘विदेशी अधिकरण’ (Foreigners’ Tribunal- FT) द्वारा एकतरफा निर्णय सुनाते हुए “विदेशी” घोषित कर दिया गया।

 

‘डी-वोटर‘ या ‘संदिग्ध मतदाता’ :

असम में ‘राष्ट्रीय नागरिक पंजी’ (National Register of Citizens– NRC) को तैयार करने के दौरान जिन व्यक्तियों की नागरिकता संदेहास्पद या विवादित पाई गई थी, उन्हें ‘डी-वोटर’ के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया था।

 

इन व्यक्तियों के लिए ‘नागरिकता अधिनियम, 1955’ अथवा ‘नागरिकता नियम 2003’ में भी परिभाषित नहीं किया गया है।

 

‘घोषित विदेशी’ :

 

‘घोषित विदेशी’ (Declared Foreigners-DF), वे व्यक्ति होते हैं, जो राज्य पुलिस की सीमा शाखा द्वारा अवैध अप्रवासी के रूप में चिह्नित किए जाने पर अपनी नागरिकता का प्रमाण देने में विफल रहते है, और उन्हें किसी एक ‘विदेशी अधिकरण’ (Foreigners’ Tribunal- FT) द्वारा ‘विदेशी’ घोषित कर दिया जाता है।

 

‘विदेशी अधिकरण’ :

यह ‘विदेशी (अधिकरण) आदेश’ [Foreigners (Tribunals) Order], 1964 के तहत स्थापित अर्ध-न्यायिक निकाय होते हैं।

 

ये अधिकरण, देश में अवैध रूप से रहने वाले व्यक्ति के बारे यह निर्धारित करते हैं, कि वह ‘”विदेशी” है अथवा नहीं।

 

संरचना: ‘विदेशी अधिकरण’ के सदस्यों में, असम न्यायिक सेवा के सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी, न्यायिक अनुभव रखने वाले सिविल सेवक, (जो सचिव या अतिरिक्त सचिव के पद से नीचे सेवानिवृत्त नहीं हुआ हो) तथा न्यूनतम सात वर्ष के वकालत अनुभव वाले 35 वर्ष से कम आयु के अधिवक्ता को शामिल किया जाता है।

 

विदेशी अधिकरणों को स्थापित करने की शक्ति:

गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा विदेशी (अधिकरण) आदेश, 1964 में संशोधन किए जाने के पश्चात सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ज़िला मजिस्ट्रेटों को ट्रिब्यूनल स्थापित करने का अधिकार प्रदान किया गया है।

 

इसके पूर्व, ट्रिब्यूनल स्थापित करने की शक्तियाँ केवल केंद्र के पास निहित थीं।

 

 ‘विदेशी अधिकरणों’ में अपील करने का अधिकार :

संशोधित आदेश [विदेशी (अधिकरण) संशोधन आदेश 2019] में सभी व्यक्तियों को अधिकरणों में अपील करने का अधिकार प्रदान किया गया है।

 

इसके पूर्व, केवल राज्य प्रशासन ही किसी संदिग्ध के खिलाफ इन अधिकरणों में मामला दायर कर सकता था।