राष्ट्रीय समसामयिकी 3 (21-Jan-2021)
उच्चतम न्यायालय ने ‘आधार’ मामले पर समीक्षा याचिकाएं खारिज की
(Supreme Court dismisses review petitions on Aadhaar case)

Posted on January 21st, 2021 | Create PDF File

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उच्चतम न्यायालय ने, बहुमत से, वर्ष 2018  में दिए गए अपने निर्णय की समीक्षा करने के संबंध में दायर की गयी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। शीर्ष अदलत ने अपने फैसले में, लोकसभा अध्यक्ष द्वारा ‘आधार’ कानून को ‘धन-विधेयक’ के रूप में प्रमाणित करने तथा संसद में इस क़ानून को पारित करने को बरकरार रखा था।

 

सरकार द्वारा ‘आधार विधेयक’ को ‘धन विधेयक’ के रूप में सदन में प्रस्तुत किया गया था, जिससे इसे पारित करने के लिए राज्यसभा में बहुमत हासिल करने की आवश्यकता नहीं रही। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच-न्यायाधीशों की एक पीठ ने 26 सितंबर, 2018 को 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए ‘आधार क़ानून’ को बरकरार रखा था।

 

आधार अधिनियम की धारा 7  में प्रावधान है कि कल्याणकारी योजनाओं के तहत प्रदान की जाने वाली सब्सिडी, सेवाएँ अथवा सुविधाओं से संबंधित व्यय भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से पूरा किया जाएगा। इस प्रावधान की वजह से, ‘आधार विधेयक’ को धन विधेयक की श्रेणी में वर्गीकृत किए जाने हेतु ‘अर्हता’ प्राप्त करार दिया गया।

 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, अदालत में दो मुद्दों पर याचिकाएँ दायर की गईं। इसमें शामिल है:

 

* क्या ‘लोक सभा के अध्यक्ष का निर्णय किसी विधेयक को ‘धन विधेयक‘ के रूप में प्रमाणित करना अंतिम है और अदालत में इसे चुनौती नही दी जा सकती है’?

 

* क्या आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवा के लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 को संविधान के अनुच्छेद 110 (1) के तहत ‘धन विधेयक’ के रूप में सही ढंग से प्रमाणित किया गया था।

 

अदालत की टिप्पणियाँ:

 

* लोक सभा अध्यक्ष के फैसले को “कुछ परिस्थितियों” के तहत ही अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

 

* ‘आधार अधिनियम’ को ‘धन विधेयक’ कहना सही है।

 

धन विधेयक

* ‘धन विधेयक’ (Money Bil), वह विधेयक होता है, जिसमे करों, धन के विनियोग आदि से संबंधित प्रावधान सम्मिलित होते हैं।

 

* धन विधेयक को केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है, और लोकसभा द्वारा पारित इस प्रकार के विधेयकों में राज्य सभा द्वारा संशोधन नहीं किया जा सकता है।

 

* धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा केवल संशोधन करने का सुझाव दे सकती है, लेकिन उन्हें स्वीकार या अस्वीकार करना लोकसभा के ऊपर निर्भर करता है।

 

* अनुच्छेद 110(1) के तहत, किसी विधेयक को एक धन विधेयक माना जाता है, यदि यह अनुच्छेद 110(1)(क) से (छ) में निर्दिष्ट मामलों- कर, सरकार द्वारा ऋण लेने तथा भारत की संचित निधि ने धन का विनियोग आदि- से संबंधित है।

 

 

* संविधान के अनुच्छेद 110 (3) के अनुसार, “यदि यह प्रश्न उठता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं तो उस पर लोकसभा के अध्यक्ष का विनिश्चय अंतिम होगा”।