अर्थव्यवस्था समसामियिकी 2 (17-Mar-2019)
सेबी ने वसूली के पारंपरिक तरीकों को बताया पुराना, बदलने का दिया प्रस्ताव (SEBI told traditional methods of recovery: Old, proposed offer to change)

Posted on March 17th, 2019 | Create PDF File

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किसी नीलामी के लिए डुग-डुकी बजार कर या मुनादी लगा कर जनता को आकर्षिक करने के अपने फायदे होते होंगे पर बजार विनियामक सेबी को लगता है कि ये तरीके बीते जमाने की बात हो गए हैं और आज के समय में नए तरीकों से अधिक अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) को शुल्क भरने में चूक करने या आदेश के अनुसार भुगतान न करने वाली इकाइयों की सम्पत्ति बेच कर वसूली करने के अधिकार है। इन अधिकारों की समीक्षा के समय नीलामी के दौरान अपनाए जाने वाले इन पुराने तरीकों की बात सामने आयी।

अधिकारियों ने कहा कि सेबी जुर्माना, शुल्क, वसूली की राशि या रिफंड के आदेश के संबंध में वसूली के नए नियम तैयार करने के लिये वित्त मंत्रालय से परामर्श कर रहा है।

सेबी के पास कर्ज की किस्तें चुकाने में चूक करने वाले निकाय (डिफॉल्टर) की संपत्ति और बैंक खाते जब्त करने, डिफॉल्टर को गिरफ्तार करने या उसे हिरासत में लेने और डिफॉल्टर की चल एवं अचल संपत्तियों के प्रबंधन के लिये किसी को नियुक्त करने का अधिकार है।

अधिकारी के अनुसार, सेबी ने सरकार के समक्ष प्रस्तुति में कहा, ‘‘आयकर अधिनियम के कुछ प्रावधान पुराने हो गये हैं, जैसे कि ढोल बजाना और सार्वजनिक नीलामी। अखबारों में विज्ञापन और ई-नीलामी जैसे नये तरीके बेहतर परिणाम दे सकते हैं।’’

सेबी ने वसूली के तेज और प्रभावी तरीकों को अमल में लाने के लिये सरकार को नियमों में आवश्यक संशोधन करने को कहा है।

आईटी अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों के तहत किसी भी संपत्ति को जब्त करने से पहले किसी जाने-माने स्थान या जब्त की जाने वाली संपत्ति के पास डुग-डुगी पिटवा कर या मुनादी (पुकार) लगवा कर कुर्की आदि के आदेश की घोषणा करनी होती है। इसके अलावा जब्ती के आदेश को उक्त संपत्ति के परिसर में जनता को स्पष्ट रूप से दिखने वाले स्थान पर तथा कर वसूली अधिकारी के कार्यालय के बोर्ड पर चिपकाना होता है।

मंत्रालय ने सेबी के सुझाव के जवाब में कहा कि आईटी अधिनियम के वसूली के प्रावधानों को सेबी अधिनियम के तहत संशोधित किया जा सकता है और यह अधिकार केंद्र सरकार के पास है। अत: इसमें संशोधन केंद्र सरकार के बनाये नियमों के आधार पर ही होना चाहिये।