निर्वाचन आयोग की शक्ति और कार्य (Power and function of election commission)

Posted on May 23rd, 2022 | Create PDF File

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संसद, राज्य के विधानमंडल, राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन के संदर्भ में चुनाव आयोग की शक्ति व कार्यों को तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है:

 

1.प्रशासनिक।

 

2.सलाहकारी।

 

3.अर्द्ध-न्यायिक।

 

विस्तार में शक्ति व कार्य इस प्रकार हैं:

 

1.संसद के परिसीमन आयोग अधिनियम के आधार पर समस्त भारत के निर्वाचन क्षेत्रों के भू-भाग का निर्धारण करना।

 

2.समय-समय पर निर्वाचक-नामावली तैयार करना और सभी योग्य मतदाताओं को पंजीकृत करना।

 

3.निर्वाचन की तिथि और समय-सारणी निर्धारित करना एवं नामांकन पत्रों का परीक्षण करना।

 

4.राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना एवं उन्हें निर्वाचन चिन्ह आवंटित करना।

 

5.राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने और चुनाव चिन्ह देने के मामले में हुए विवाद के समाधान के लिए न्यायालय  की तरह काम करना।

 

6.निर्वाचन व्यवस्था से संबंधित विवाद की जांच के लिए अधिकारी नियुक्त करना।

 

7.निर्वाचन के समय दलों व उम्मीदवारों के लिए आचार संहिता निर्मित करना।

 

8.निर्वाचन के समय राजनीतिक दलों की नीतियों के प्रचार के लिए रेडियो और टी.वी. कार्यक्रम सूची निर्मित करना।

 

9.संसद सदस्यों की निरर्हता से संबंधित मामलों पर राष्ट्रपति को सलाह देना।

 

10.विधान परिषद के सदस्यों की निरर्हता से संबंधित मसलों पर राज्यपाल को परामर्श देना।

 

11.रिंगिंग, मतदान केंद्र लूटना, हिंसा व अन्य अनियमितताओं के आधार पर निर्वाचन रद्द करना।

 

12.निर्वाचन कराने के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता के बारे में राष्ट्रपति या राज्यपाल से आग्रह करना।

 

13.समस्त भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनावी तंत्र का पर्यवेक्षण करना।

 

14.राष्ट्रपति को सलाह देना कि राष्ट्रपति शासन वाले राज्य में एक वर्ष समाप्त होने के पश्चात् निर्वाचन कराए जाएं या नहीं।

 

15.निर्वाचन के मद्देनजर राजनीतिक दलों को पंजीकृत करना तथा निर्वाचन में प्रदर्शनों के आधार पर उसे राष्ट्रीय या राज्यस्तरीय दल का दर्जा देना।

 

निर्वाचन आयोग की सहायता उप-निर्वाचन आयुक्त करते हैं। वे सिविल सेवा से लिए जाते हैं और आयोग द्वारा उन्हें कार्यकाल व्यवस्था के आधार पर लिया जाता है। उन्हें आयोग के सचिवालय में कार्यरत सचिवों, संयुक्त सचिवों, उप-सचिवों व अवर सचिवों द्वारा सहायता मिलती है।

 

राज्य स्तर पर, राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग की सहायता मुख्य निर्वाचन अधिकारी करते हैं, जिनकी नियुक्ति मुख्य निर्वाचन आयुक्त राज्य  सरकारों की सलाह पर करता है। इसके नीचे जिला स्तर पर कलेक्टर, जिला निर्वाचन अधिकारी होता है। वह जिले में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र  के लिए निर्वाचन अधिकारी व प्रत्येक मतदान केंद्र के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करता है।