अर्थव्यवस्था समसामयिकी 1(28-July-2023)
संसाधन दक्षता चक्रीय अर्थव्यवस्था उद्योग गठबंधन
(Resource Efficiency Circular Economy Industry Coalition)

Posted on August 1st, 2023 | Create PDF File

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हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने चेन्नई में चौथी G-20 पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्य समूह (Environment and Climate Sustainability Working Group- ECSWG) की बैठक के दौरान संसाधन दक्षता चक्रीय अर्थव्यवस्था उद्योग गठबंधन (Resource Efficiency Circular Economy Industry Coalition- RECEIC) का शुभारंभ किया।

 

ECSWG का लक्ष्य स्थायी भविष्य के लिये G20 देशों के बीच सहयोग बढ़ाना है।

 

RECEIC, 39 बहुराष्ट्रीय निगमों के साथ अपशिष्ट से पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के लिये संसाधन दक्षता और चक्रीय अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को अपनाने का लक्ष्य रखता है।

 

यह प्लास्टिक, माइक्रोप्लास्टिक्स, ई-अपशिष्ट और रासायनिक अपशिष्ट जैसी समस्याओं से निपटने पर केंद्रित है।

 

विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (Extended Producers’ Responsibility- EPR) दिशा-निर्देशों के माध्यम से प्लास्टिक अपशिष्ट के बोझ को कम करने में भारत के प्रयासों पर ज़ोर दिया गया है।

 

वर्ष 2021-22 में भारत में 41 लाख टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हुआ, जिसमें 30 लाख टन पंजीकृत रिसाइक्लर्स और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रोसेसर को आवंटित किया गया।

 

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रोसेसर्स द्वारा 2.6 मिलियन टन मूल्य के EPR प्रमाणपत्र तैयार किये गए, वर्ष 2022-23 दायित्वों के मुकाबले PIBO द्वारा लगभग 1.51 मिलियन टन की खरीद की गई।

 

EPR : 

 

विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (Extended Producer Responsibility- EPR) एक ऐसी अवधारणा है जो उत्पादकों को उनके उत्पादों के पर्यावरणीय परिणामों के लिये आरंभ से लेकर अंत तक ज़िम्मेदार ठहराती है। 

 

इसका उद्देश्य अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करना और स्थानीय प्राधिकारों पर दबाव कम करना है। 

 

यह उत्पाद की कीमतों में पर्यावरणीय लागत को दर्शाता है और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों के निर्माण को प्रेरित करता है। 

 

EPR विभिन्न अपशिष्ट पर लागू होता है, जैसे प्लास्टिक अपशिष्ट, ई-अपशिष्ट और बैटरी अपशिष्ट। 

 

ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2011 में भारत में पहली बार EPR की अवधारणा पेश की गई थी।